मगध विश्वविद्यालय:भारत में लोकतंत्र, चुनाव और दलगत राजनीति विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन

बोधगया:मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के राजनीति विज्ञान विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में 12 और 13 सितम्बर 2025 को "भारत में लोकतंत्र, चुनाव और दलगत राजनीति विषय" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्ज्वलन एवं कुलगीत के बाद अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया। सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर सम्मेलन की स्मारिका (Souvenir) का विधिवत विमोचन किया गया। ग के वरिष्ठ प्रो. मो. एहतेशाम खान ने परिचयात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए  कहा कि भारत का लोकतंत्र किसी भी पक्ष में तानाशाही पूर्ण नहीं है बल्कि यहां एक प्रकार की रणनीतिक स्वायत्तता है । भारत में जीवंत दल प्रणाली है जो कि संसदीय चुनाव से लेकर स्थानीय स्तर तक होने वाले चुनाव से प्रदर्शित होती है।

कुलपति प्रो. एस. पी. शाही ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि लोकतंत्र विश्व स्तर पर प्रचलित है किंतु भारत का लोकतंत्र पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल एवं वर्मा के मुकाबले परिपक्व है । किंतु आजादी के 78 वर्ष बाद भी भारत का लोकतंत्र जाति की परिधि से बाहर नहीं निकल पाया है, विशेष कर बिहार की  राजनीति में जाति विशेष रूप से हावी है । नव बिहार के निर्माण हेतु युवाओं को आगे बढ़कर जाति की परिधि को तोड़ना होगा और लोकतंत्र के जड़ों को मजबूत करना होगा । लोकतंत्र की उन्नति के लिए जातिगत आधार पर मतदान व्यवहार को त्यागना होगा तथा इसमें बुद्धिजीवियों  की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।उन्होंने आगे कहा  कि, हमारा देश एक बहुजातीय, बहुभाषीय बहुवर्गी है।यहाँ एक प्रकार की समरसता है कोई भी किसी के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करता है । उन्होंने विश्वविद्यालय में आगामी माह आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह के आयोजन के संबंध में घोषणा की।

विशिष्ट अतिथि प्रो. संजय कुमार पूर्व निदेशक(सीएसडीएस), नई दिल्ली ने अपने व्याख्यान के प्रारम्भ में कहा कि वह  बिहार के किसी भी राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय में पहली बार उपस्थित हुए हैं । उन्होंने विषय की सामयिकता एवं प्रासंगिकता की सराहना की तथा बिहार को क्रांतियों की भूमि बताया । दल प्रणाली,चुनाव एवं लोकतंत्र की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति दल आधारित है तथा भारत के मतदाता बड़ी संख्या में चुनाव चिन्ह के आधार पर वोट  करते हैं  जो कि दल आधारित लोकतंत्र को मजबूत बनाता है । वर्तमान में भी पार्टी का महत्व और बढ़ता जा रहा है नये- नये दल समय के  साथ जन्म लेते रहते हैं तथा बिहार की जन सुराज पार्टी इसका अध्यतन दृष्टांत है। उन्होंने कहा लोकतंत्र के अनेक आयाम है जिनमें में नियमित चुनाव एवं निष्पक्ष चुनाव महत्वपूर्ण और भारत का लोकतंत्र इन मामलों में अधिक मजबूत है जिससे जनता का चुनाव प्रणाली में विश्वास बना  हुआ है ।अतः इन पर कोई बड़ा प्रश्न चिन्ह आज तक नहीं खड़ा हुआ है ।  

मुख्य अतिथि प्रो डॉ. ममता चंद्रशेखर, प्राचार्य, प्रधानमंत्री उत्कृष्टता महाविद्यालय, इंदौर ने मानव  स्वभाव के मतांतर को एक स्वभाविक प्रक्रिया बताते इसकी परिणीति दल प्रणाली के रूप में रेखांकित किया ।  उन्होंने लोकतंत्र को भारतीय ज्ञान परंपरा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व  बताया । उन्होंने ने ज्ञान  की उपादेयता को  उसके महत्व की परिचायक बताया । लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने हेतु प्रत्येक व्यक्तियों को अपने दायित्वों का निर्वहन करना महत्वपूर्ण है । व्यवस्थाओं को सुधारने का एकमात्र जिम्मेदारी जनता की है । जनता के आचरण की शुद्धता ही समाज, राष्ट्र और लोकतंत्र को सही दिशा प्रदान करती है। भारत को विकसित भारत बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक की सक्रिय और सजग सहभागिता अनिवार्य है।"

गेस्ट ऑफ ऑनर प्रो. राजेंद्र सिंह ने अपने व्याख्यान में भारत के लोगों कि लोकतंत्र में आस्था पर विशेष बल दिया उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने लोकतंत्र को हर संकट से निकला है । इंदिरा गांधी जी जो कि एक लौह महिला थी जब उनके शासन में निरंकुशता के प्रवृत्ति आ गई थी तब जनता ने संपूर्ण क्रांति द्वारा इस निरंकुशता को समाप्त किया था और लोकतंत्र को पुनः जीवंत बनाया था । इसके अलावा आई क्यू ए सी समन्वयक प्रो. मुकेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का संविधान को लोकतांत्रिक मूल्यों का स्रोत है और चुनाव प्रणाली इसे संरक्षित करती है । हमारा देश विश्व का सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश है और जो की मूल्यों पर आधारित है । 

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. बिनोद मंगलम ने भारतीय लोकतंत्र, चुनाव प्रणाली एवं लोकतंत्र के साहित्यिक दृष्टिकोण पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने भारतीय साहित्य में वर्णित लोकतांत्रिक मूल्यों को भी विस्तारपूर्वक रेखांकित किया ।इसके अलावा आई क्यू ए सी समन्वयक प्रो. मुकेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का संविधान को लोकतांत्रिक मूल्यों का स्रोत है और चुनाव प्रणाली इसे संरक्षित करती है । हमारा देश विश्व का सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश है और जो की मूल्यों पर आधारित है । प्रो. शैलेन्द्र कुमार, पूर्व प्राचार्य, गवर्नमेंट फ़ार्मेसी कॉलेज, पटना ने अपने उद्बोधन में चुनाव व्यवस्था एवं कानून प्रणाली पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।

 सम्मेलन के दौरान बिहार में बिहार राजनीति विज्ञान संगठन की स्थापना के उद्देश्य से औपचारिक विचार-विमर्श एवं परामर्श सत्र आयोजित किया गया।”कार्यक्रम के अंत में सम्मेलन के संयोजक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार घोष ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।राष्ट्रगान के साथ सम्मेलन के प्रथम सत्र का समापन हुआ।

सम्मेलन के द्वितीय सत्र में प्रो. एम. ई. खान की अध्यक्षता में Plenary Session का आयोजन किया गया। भारतीय लोकतंत्र, चुनाव प्रणाली और दलगत राजनीति पर गहन विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम दोपहर 2:30 बजे शुरू होकर शाम 5:30 बजे तक चला।

मुख्य वक्ताओं में प्रो. संजय कुमार,  पूर्व निदेशक, सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसाइटीज (CSDs), नई दिल्ली, प्रो. सरोज वर्मा, पूर्व प्रमुख और डीन, जे. पी. विश्वविद्यालय, प्रो. ज्ञानारंजन स्वैन, स्कूल ऑफ पॉलिटिकल साइंस, गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय, संबलबपुर, ओडिशा और डॉ. पवन कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति अध्ययन विभाग, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार, गया शामिल थे। 

प्रो. संजय कुमार ने भारतीय लोकतंत्र की प्रगतिशील दिशा, चुनावी प्रणाली की मजबूती और राजनीतिक दलों के लोकतांत्रिक कार्यों पर अपने विचार साझा किए। प्रो. सरोज वर्मा ने दलगत राजनीति के विविध आयाम और चुनावी रणनीतियों के सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डाला। प्रो. ज्ञानारंजन स्वैन ने लोकतांत्रिक मूल्यों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्षों का विश्लेषण करते हुए ग्रामीण और शहरी चुनावों में जनता की सहभागिता पर चर्चा की। वहीं, डॉ. पवन कुमार सिंह ने भारतीय चुनावी प्रक्रिया और दलगत राजनीति में सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व के मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।

सत्र का समापन धन्यवाद प्रस्ताव और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। इस कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को भारतीय लोकतंत्र और चुनावी व्यवस्था की समझ को और गहरा करने का अवसर प्रदान किया।

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