जन-संसद में वक्ताओं का हुंकार, शांति व्यवस्था कायम रखे सरकार


कोलकाता: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां हैं - छीनता हो स्वत्व कोई और तू / त्याग, तप से काम ले यह पाप है / पुण्य है विछिन्न कर देना उसे / बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है। 

बड़ाबाजार के तारा सुंदरी पार्क में वृहत्तर बड़ाबाजार में क्रमशः बढ़ रही अपराधिक घटनाओं और अपराधियों के बेखौंफ इरादों के खिलाफ युवाशक्ति की पहल पर आयोजित प्रथम जन-संसद में वक्ताओं ने कुछ इसी अंदाज में आम जनता से संगठित और सचेतन होने का आह्वान किया। इस आयोजन में वृहत्तर बड़ाबाजार के अनेकों व्यवसायिक संगठनों के पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरे जोशो-खरोश से भागीदारी की और अपने अंदाज में असामाजिक तत्वों को ललकारते हुए शांति और सुव्यवस्था के पक्ष में अपनी दलीलें दीं। 

संप्रति शताब्दी प्राचीन मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के सचिव प्रख्यात समाजसेवी और उद्यमी प्रहलाद राय गोयनका पर असामाजिक तत्वों द्वारा आक्रमण के बाद आयोजित इस जन-संसद में अपराधियों को संरक्षण दे रहे नेताओं पर भी लोगों का आक्रोश स्पष्ट परिलक्षित हुआ। 

जन-संसद की अवधारणा का स्वागत करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र में विधायिका और संसद की तरह आम आदमी के सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए यह नवीन अवधारणा जरूरी है। 

कार्यक्रम का विषय उद्घाटित करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने कहा कि बड़ाबाजार व्यवसायियों और धर्म उपासकों का इलाका है जहां अपराध का बढ़ना चिंताजनक है। इस पर कारगर रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए।
 
पोस्ता मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ अग्रवाल ने कहा कि व्यवसायी सरकारी फरमानों से परेशान हैं ऊपर से अपराधियों की दबंगई उन्हें ठीक से काम करने नहीं देती। इसका असर व्यवसाय पर पड़ रहा है। बदलते दौर में बड़े कारपोरेटों के खुदरा व्यापार में आ जाने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। छोटे व्यापारियों की हालत खस्ता है। उस पर अगर अपराध का कहर रहा तो स्थिति भयावह होगी। 

सीडब्ल्यूबीटीए के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने कहा कि तकनीकी प्रगति और व्यापार के बदलते स्वरूप में सबका अस्तित्व कायम रहेगा लेकिन बेहतरीन व्यवसायिक माहौल के लिए संगठित होना समय की मांग है। उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार लुहारीवाला ने कहा कि प्रतियोगिता के चक्कर में व्यवसायी भी अपराधियों को शह देने के दोषी हैं। एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में अपराधियों को शरण दी जाती है जो बाद में गले की हड्डी बन जाते हैं। 

मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी सहित विभिन्न व्यवसायिक संस्थाओं से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ता शिवजी पांडेय ने कहा कि खतरों से भागकर खतरों से बचना मुश्किल है। अवसरवादी अपराधिक तत्व सभी जगह मौजूद हैं इसीलिए डटकर उनका मुकाबला करना ही आखिरी विकल्प है। 

मेड्रा फिनभेस्ट के प्रबंध निदेशक एवं आर्थिक विश्लेषक अजीत जैन ने कहा कि आपसी सौहार्द, सहभागिता और सचेतनता से ही जिंदगी को खुशहाल बनाया जा सकता है। व्यवसाय अपने आप में एक धर्म है इसीलिए इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को अपने साथी व्यापारी का हमदर्द होना पड़ेगा। किसी भी संकट के समय एकजुटता दिखानी होगी। 

मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष और बड़ाबाजार की राजनीति के वरिष्ठ कार्यकर्ता अशोक झा ने बड़ाबाजार में अपराधों की क्रमिकता और उससे जुड़े लोगों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि नोट और वोट के मायाजाल में अपराधियों को संरक्षित किया जाता है। पद, पैसा, पॉवर का डंका बजाने के लिए छुटभैये नेता भी अपराधों को प्रोत्साहित करते हैं।
 
कोट्टी के सचिव देवेंद्र बोथरा ने भी कहा कि बिना नियमित जनआंदोलनों के बड़ाबाजार जैसे संवेदनशील व्यवसायिक अंचल में शांतिपूर्ण ढंग से व्यवसाय करना संभव नहीं है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाते हुए सभी व्यवसायियों के हित की बात सोचनी होगी। 

एजेंट एसोसिएशन के हरिशंकर झंवर ने भी व्यवसायियों की एकजुटता की जरूरत पर बल देते हुए मारवाड़ी समाज को साहसी बनने का आह्वान किया। 

युवाशक्ति के प्रधान संपादक सुधांशु शेखर ने कहा कि आम आदमी की समस्याओं को बहस के केंद्र में लाना तथा उसके समाधान के लिए वैचारिक आधार तैयार करना ही युवाशक्ति की पत्रकारिता का मकसद है। 

प्रमोद कुमार जैन, विजय पांडेय, उदय विश्वनाथ भट्ट, जितेन्द्र तोदी, धनंजय ठाकुर, सरोज कुमार मिश्रा, अनिल सिंह, अरविंद सिंह, सुभाष केडिया, अशोक कुमार गंगवाल, अजय गुप्ता, सुशील कोठारी, मानवेन्द्र शर्मा, लक्ष्मण साह, अशोक जैन, शिव कनोई, ज्योति सिंह, शशांक देसाई, श्याम सुंदर गोयनका आदि ने भी सारगर्भित विचार रखे। 

 कार्यक्रम का संचालन सच्चिदानन्द पारीख ने किया।

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