झारखंड का विभाजन करना चाहती है भाजपा : झामुमो


रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा संसद में दिये गये बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि देश और समाज में विभाजनकारी राजनीति की नयी बुनियाद भाजपा ने रखी. उसका प्रतिफल बहुत विकट होने वाला है. भाजपा ने जब विधानसभा के लिए अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की, तो प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और दूसरे सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा बनाए गए. सुप्रियो रविवार को प्रेस वार्ता में बोल रहे थे.

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस दिन से हिमंत का यहां प्रवेश हुआ, उस दिन से समाज में धर्म और जाति के नाम पर एक जहर घोला जा रहा है. उस जहर का असर यह है कि पिछले दिनों गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में एक बयान दिया. निशिकांत ने कहा कि झारखंड का संथाल परगना प्रमंडल, बिहार का कोशी प्रमंडल और बंगाल के मालदा और मुर्शीदाबाद जिले को अलग कर यूनियन टेरेटरी बनाया जाए. ये अचानक से दिया गया बयान नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश के तहत न केवल झारखंड को विखंडित करने के लिए, बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल को विखंडित करने के लिए भाजपा की एक दूरगामी सोच है, क्योंकि झारखंड में इस साल चुनाव होना है. वहीं, 2025 में बिहार और 2026 में बंगाल में चुनाव होने हैं.

भट्टाचार्य ने कहा कि ये लोग संथाल को झारखंड से अलग करके क्या सिद्धो-कान्हू के नाम को मिटा देना चाहते हैं? भाजपा के लोग चाहते हैं कि तेलंगा-खड़िया का नाम मिटाने के लिए कोल्हान को उड़ीसा के साथ मिलवा दें. नीलांबर-पीतांबर, शेख भिखारी, जतरा भगत, बुधु भगत का नाम मिटाने के लिए दक्षिणी छोटानागपुर को छत्तीसगढ़ में मिला दिया जाए. मालभूम, सिंहभूम, ढालभूम को पश्चिम पश्चिम बंगाल में मिला दिया जाए. हजारों की शहादत, कुर्बानी और त्याग के बाद हमे जो झारखंड मिला, जो पहचान मिली, उसे मिटा दिया जाए. ये लोग झारखंडी पहचान को समाप्त करने की साजिश कर रहे हैं.

सुप्रियो ने कहा कि मुद्दा विहिन भाजपा जम्मू-कश्मीर की तरह अब एक और राज्य के विभाजन की तैयारी में है. एक राष्ट्रीय चैनल को निशिकांत दुबे टैब पर दिखा रहे थे कि कौन-कौन जिले हैं अरे महामानव जी, वो गंगा जो बांग्लादेश में जाकर पद्मा बन जाती है, उसपर बीएसफ, एसएसबी, कोष्ट गार्ड का पहरा है. वह पूरी तरह से प्रोजेक्टेड वाटर लैंड है और उसका जिम्मा भारत के गृह मंत्रालय का है. इस महामानव को इतना भी नहीं पता कि झारखंड कोई भी अंतरराष्ट्रीय सीमा को शेयर नहीं करता है. भाजपा, कौन सी डेमोग्राफी की बातें कर रही है?

उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा में इस बात को लेकर चर्चा होनी चाहिए कि भाजपा के लोग बताएं कि वे झारखंड का विभाजन चाहते हैं या नहीं. भाजपा यह बताए कि वे इस राज्य में सरना धर्म कोड को लागू करना चाहते है या नहीं. असम के सीएम बताएं कि असम के चाय बगानों में वर्षों से काम करने वाले यहां के मूलवासी, आदिवासी को एसटी का दर्जा देंगे या नहीं.

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