विपक्ष अब मोदी-विरोध के अतिरेक में राम-विरोधी हुआ : सुशील मोदी


पटना: पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने अयोध्या मेंं श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय कर फिर एक ऐतिहासिक भूल की और सिद्ध किया कि वह राष्ट्रीय गौरव, भारतीय पराक्रम तथा भारत कल्याण के हर महत्वपूर्ण कार्य का बहिष्कार कर उसमें विघ्न डालने वाली पार्टी है। कांग्रस और उसकी संगत में पड़े जो भी दल राम-काज का बहिष्कार कर रहे हैंं, देश की जनता अगले चुनाव में उन सबका बहिष्कार करेगी।

सुशील मोदी ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस वर्चस्व वाले इंडी गठबंधन के पांच बड़े दलों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है और कई दल मंदिर के विरुद्ध लगातार जहर उगल रहे हैं जबकि यह भाजपा या मोदी सरकार का कार्यक्रम नहीं है। विपक्ष अब मोदी-विरोध के अतिरेक में राम-विरोधी हो चुका है।

उन्होंने कहा कि जो लोग न्यायालय के निर्णय से राम मंदिर निर्माण के पक्ष में थे और जो कह रहे हैं कि राम सबके हैं, वे बताएं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में क्यों नहींं जाना चाहते? नीतीश कुमार तय करें कि वे कांग्रेस का अनुसरण करेंगे या कोई अलग लाइन लेने का साहस करेंगे। कांग्रेस ने स्वाधीनता के अमृत काल में राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक नये संसद भवन के लोकार्पण का बहिष्कार किया, जबकि अंग्रेजों के बनाए संसद भवन से उसे कोई आपत्ति नहीं थी।

मोदी ने कहा कि एक देश-एक कर प्रणाली की नीति के अन्तर्गत राजस्व संग्रह और संसाधन बढ़ाने के लिए जब जीएसटी लागू किया गया तब भी कांग्रेस ने विरोध-बहिष्कार रास्ता अपनाया। दुनिया के 20 बड़े देशों की अध्यक्षता भारत को मिलना वैश्विक राजनीति में एक बड़ी उपलब्धि थी लेकिन इस पर विघ्न-संतोषी कांग्रेस ने अपना विरोध प्रकट करने के लिए राष्ट्रपति के सम्मान भोज का बहिष्कार किया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सीमा पार के आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए और जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटाने का विरोध किया। आज ये लोग बाबरी मस्जिद समर्थक चरमपंथियों को खुश करने के लिए राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर के नवनिर्माण कर विरोध कर कांग्रेस में मंदिर और सनातन धर्म के विरोध का बीज बोया था, वह सोनिया गांधी के समय तक घातक विष-वृक्ष बन चुका है। उस समय नेहरू के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद एक सनातनी हिंदू के रूप में सोमनाथ मंदिर गए थे। आज की कांग्रेस के पास कोई राजेंद्र बाबू जैसा नेता नहीं है। इसलिए पार्टी जनता के चित से उतर चुकी है।

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