उत्तर प्रदेश: ताजमहल (Taj Mahal) को लेकर फिर से विवाद गर्माया हुआ है और जल्द ही मामला फिर से कोर्ट में पहुंच सकता है. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास (Sri krishna Janmbhumi Mukti Nyas) के प्रमुख ने ताजमहल को मंदिर बताया है. इस मुद्दे को लेकर वे कोर्ट जा सकते हैं.
बता दें कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने इससे पहले मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद और आगरा के शाही जामा मस्जिद विवाद को लेकर भी कोर्ट जा चुकी है. अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने ताजमहल पर भी दावा पेश कर दिया है. इससे पहले भी कई लोग ताजमहल को मंदिर बताकर सर्वे की मांग कर चुके हैं.
न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) पेशे से अधिवक्ता भी हैं. उन्होंने दावा किया कि ताजमहल मंदिर है. ऐसे में उस पर हिंदू पक्ष का दावा है. इस वजह से वो जल्द ही कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर कर देंगे.
उन्होंने ये भी कहा कि कई पुस्तकों में लिखा हुआ है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि में रखे केशव देव के विग्रह को उठाकर आगरा लाया गया था. बाद में उसे शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया. उन्होंने कहा कि मुगलों ने अपने शासन के दौरान साढ़े चार लाख से ज्यादा मंदिर को तोड़ा. उसमें से कई के ऊपर दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल बना दिए गए.
सिंह के मुताबिक वो ऐसे धार्मिक स्थलों की लिस्ट बना रहे हैं, जिन्हें हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है. इसके बाद वो उन सब मामलों को लेकर भी कोर्ट जाएंगे. पिछले साल इसी तरह का एक मुद्दा उठा था. उस वक्त अयोध्या के बीजेपी नेता रजनीश सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट गए थे. साथ ही ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने की मांग की. उन्होंने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने की भी मांग की थी.
हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाई और इसको तुरंत खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि वो इस मामले में ना तो 22 कमरे खुलवाने का आदेश जारी करेंगे और ना ही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन होगा. ये मुद्दा न्यायिक नहीं बल्कि विवादास्पद है.
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