Land for Job Scam में लालू और तेजस्वी यादव को समन, 4 अक्टूबर को पेश होने का आदेश


Lalu Prasad News: लैंड फॉर जॉब घोटाला (Land for Job Scam) मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court)  ने नई चार्जशीट के संबंध में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों को शुक्रवार समन जारी किया. विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर एक नए आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया है.

सीबीआई के अनुसार, तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्तियों सहित 17 आरोपियों के खिलाफ नामित अदालत में यह दूसरा आरोपपत्र है. हाल ही में सीबीआई ने कथित लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव समेत उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ यह आरोप पत्र दाखिल किया था. सीबीआई ने 18 मई, 2022 को लालू यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

क्या है लैंड फॉर जॉब मामला? 

यह पूरा मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है. जब साल 2004 में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए-1 की सरकार बनी थी, तब लालू प्रसाद यादव को सरकार में रेल मंत्री बनाया गया. आरोप है कि इसी दौरान लालू यादव ने अपने पद का गलत फायदा उठाते हुए, पटना के 12 लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दे दी. शुरुआत में सब्स्टीट्यूट पर दी गई बाद में उन्हें परमानेंट कर दिया गया.

इसके बदले में उन लोगों से लालू यादव ने परिजनों के नाम पर जमीनें लिखवा लीं. दावा है कि उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री कराई गई और कीमत के नाम पर कुछ पैसे नकद में दिये गये.

बता दें कि साल 2021 में जांच एजेंसी द्वारा जांच शुरू की गई थी. जांच में सीबीआई ने पाया कि पटना में तीन सेल डीड (Sale Deed) राबड़ी देवी के नाम पर हैं. इसमें से दो डीड फरवरी 2008 की हैं. तीसरी सेल डीड में एक प्लॉट है. वहीं मीसा भारती और हेमा यादव के नाम भी दो गिफ्ट डीड का खुलासा हुआ. वहीं एक डीड एके इन्फोसिस्टम नाम की कंपनी के साथ किया था. बाद में जिसकी डायरेक्टर राबड़ी देवी बनीं.

वहीं सीबीआई ने जांच में पाया कि जोनल रेलवे में सब्स्टीट्यूट की भर्ती का कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया गया था. जिन परिवारों ने अपनी जमीन दी, उनके सदस्यों को रेलवे में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्ति दी गईं.

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