Monsoon diseases Cases in Delhi: बाढ़ के कारण दिल्ली में तेजी से बढ़ रहा संक्रमित बीमारियों का खतरा



दिल्ली: बरसात और बाढ़ की वजह से एक तरफ लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों को पूरा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ लोग बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं. 

गौतमबुध नगर जिले के साथ-साथ आसपास के जिलों में भी बरसात के मौसम में आई फ्लू हेपेटाइटिस ए और ई की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन हर साल की जगह इस साल यह खतरा तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है और लोग इसकी चपेट में भी आ रहे हैं.

इसकी वजह है इस बार की आई बाढ़. बाढ़ के पानी से यमुना और हिंडन के निचले स्तर पर बसे कॉलोनियों और सोसाइटीओ में पानी पहुंच चुका है और धीरे-धीरे कई जगहों पर पानी उतरना भी शुरू हो गया है लेकिन इस पानी के चलते लोग संक्रमित बीमारियों से ग्रस्त भी हो रहे हैं और लोगों को कई अन्य बीमारियों का डर भी सता रहा है.

हेपेटाइटिस का बढ़ा प्रकोप

गौतमबुद्ध नगर के सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो बीते 1 महीने में ही सैकड़ों मरीजों में हेपेटाइटिस ए और ई की पुष्टि हुई है. इसके साथ साथ रोजाना सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में आई फ्लू से पीड़ित मरीजों की संख्या 150 से 200 तक पहुंच रही है. डॉक्टरों की मानें तो हेपेटाइटिस ए और ई लोगों को दूषित खाने और दूषित पानी की वजह से होता है. 

वहीं दूसरी ओर आई फ्लू यानी कंजंक्टिवाइटिस आंखों का संक्रमण माना जाता है और यह बहुत तेजी से एक से दूसरे में फैलता है. इससे बचने के लिए हमेशा लोगों से थोड़ी दूरी बना कर रखना जरूरी है जो इस संक्रमण से ग्रसित हैं.

हेपेटाइटिस ए और ई बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है. गौतमबुद्ध नगर जिले के सरकारी अस्पताल के आंकड़े चौकाने वाले हैं. जुलाई महीने में ही अभी तक सैकड़ों मरीजों में हेपेटाइटिस ए और ई के लक्षण मिल चुके हैं. 

अगर प्राइवेट अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या की बात की जाए तो 4 गुना मामले और देखने को मिलेंगे. इस बीमारी से ग्रसित लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत लिवर और गैस्ट्रो की होती है.

हेपिटाइटिस वायरल संक्रमण का समूह है जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करता है और उसे खराब करता है. हेपेटाइटिस ए या हेपेटाइटिस ई से पीड़ित मरीज को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोगों को गैस्ट्रो, लिवर, किडनी संबंधित कई बीमारियां हो सकती हैं.

क्या है आई फ्लू

कंजेक्टिवाइटिस को पिंक आई के रूप में जाना जाता है. इसके तहत आंख की झिल्ली में संक्रमण होता है जो आंख को ढक कर रखती है. इसे आई फ्लू भी कहते हैं. यह बीमारी धूल के कण, संक्रमण, बैक्टीरिया आदि के संपर्क में आने से होती है. 

इसके चलते आंखों का सफेद हिस्सा पूरी तरीके से लाल हो जाता है और आंखों में काफी जलन और दिक्कत महसूस होती है. खुजली लालिमा आंखों से तरल चिपचिपा पदार्थ निकलना यह सब इसके शुरुआती लक्षण होते हैं.

अगर संक्रमण गंभीर है तो आंखों में सूजन होना, दर्द होना, हल्के बुखार के लक्षण आना दिखाई देता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे बचने का यही उपाय है कि आप थोड़ी-थोड़ी देर में अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें. संक्रमित चीजों और जगहों को मत छुएं. 

अगर सुबह उठने पर आंखों पर पपड़ी बन रही है और दर्द हो रहा है तो सेकाई दोनों ले सकते हैं. आंखों के बचाव के लिए आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें ताकि आंखें साफ रहे और इसमें से गंदगी निकल जाए. साथ ही साथ ऐसे आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें जिसमें कोई प्रिजर्वेटिव ना हो.

अगर आपको इस बीमारी से ज्यादा दिनों तक नहीं जूझना है तो आप खुद डॉक्टर ना बने. डॉक्टर की सलाह पर ही आई ड्रॉप लें. क्योंकि कई आई ड्रॉप में स्ट्राइड होता है जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है. 

इसीलिए जो भी डॉक्टर रिकमेंड करें वही आई ड्रॉप लें. आंखों को कभी भी रगड़े नहीं. चाहे उसमें जितनी भी जलन हो. इस बीमारी को लेकर थोड़ा सजग रहें और संक्रमित व्यक्ति की कोई भी चीज इस्तेमाल ना करें.


 

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