Loksabha Election 2024: अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए BJP निकालेगी 'पसमांदा’ स्नेह यात्रा

 

उत्तर प्रदेश: अगले चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पूरी तरह से प्रयास में लगी है। इस कड़ी में पार्टी पसमांदा मुसलमानों को रिझाने के लिए 27 जुलाई से 'पसमांदा स्नेह यात्रा' शुरू करेगी। यात्रा की शुरुआत गाजियाबाद से होगी और यूपी के सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जाएगी।

भाजपा सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और अल्पसंख्यक मोर्चे के महामंत्री दानिश आजाद ने बताया कि 27 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) की पुण्यतिथि के मौके पर 'पसमांदा स्नेह यात्रा' की शुरुआत होगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (J.P. Nadda) इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। इसके बाद यात्रा यूपी में पूरब से लेकर पश्चिम इलाके में घूमेगी।

यात्रा का अगला चरण बिहार से होगा शुरू

दानिश आजाद (Danish Azad) ने बताया कि यात्रा की शुरुआत असल में एक अगस्त से होगी। दो अगस्त को यात्रा बुलंदशर, हापुड़, मेरठ सहारनपुर, तीन को बिजनौर चार को अमोरहा, 5 अगस्त को अमोरोहा, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर,रामपुर, 6 अगस्त को सीतपुर, लखनऊ, 7 अगस्त को बाराबंकी, बहराइच गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, 8 अगस्त को अयोध्या, अमेठी सुल्तानपुर और प्रयागराज जायेगी। 9 अगस्त को भदोही, जौनपुर, 10 अगस्त को आजमगढ़, देवरिया गोरखपुर में यात्रा का पहला चरण खत्म हो जाएगा। इसके बाद अगला चरण बिहार से शुरू होगा।

पसमांदा समाज में पैठ बनाने की कोशिश

इसके लिए 42 लोगों की एक टीम बनाई गई है। यात्रा का मूल मकसद पसमांदा (Pasmanda Muslims) समाज के बीच जाकर उन्हें केंद्र और राज्य की अच्छी योजनाओं के बारे में बताना है। जिस प्रकार से नगर निकाय और विधानसभा में इनका समर्थन मिला है, उसके लिए शुक्रिया अदा करना है।

ज्ञात हो कि भाजपा की पसमांदा मुसलमानों को रिझाने की कोशिश बहुत दिनो से चल रही है। पसमांदा मुसलमान जैसे जुलाहे, धुनिया, घासी, कसाई, तेली और धोबी वगैरह, जिन्हें देश में निचली जातियों में गिना जाता है, लंबे समय से बीजेपी  और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोकस में रहे हैं।

पार्टी की पिछली दो कार्यकारिणियों, 2022 में हैदराबाद में हुई बैठक और जनवरी 2023 में दिल्ली में हुई बैठक में खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने पसमांदा मुसलमानों का जिक्र किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी मुस्लिम समुदाय के उस वर्ग पर फोकस करने की कोशिश कर रही है जो आमतौर पर विपक्षी दलों का वोट बैंक है। बीजेपी  ने यूपी में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद पसमांदा मुसलमान दानिश अंसारी को जगह देकर इसके संकेत भी दिए।

यही नहीं, इसके बाद, मोदी कैबिनेट के बड़े मुस्लिम चेहरे मंत्रिमंडल से गायब हो गए और उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा गया।


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