ममता सबसे भ्रष्ट और नीतीश सबसे कमजोर मुख्यमंत्री : सुशील मोदी


कोलकाता: ममता बनर्जी देश की सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री हैं और नीतीश कुमार सबसे कमजोर. ये मिलकर विपक्षी एकता की कवायद में लगे हैं लेकिन दोनों में से कोई किसी को स्वीकार नहीं करेगा. इनकी अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा सबसे बड़ी है. यह कहना है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक कार्यक्रम के सिलसिले में कोलकाता पहुंचे मोदी ने बुधवार को पटना वापसी से पहले "हिन्दुस्थान समाचार" से विशेष तौर पर बातचीत की.

उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल में सत्ता के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक भयंकर भ्रष्टाचार है. यहां के आम लोग शिकायत कर रहे हैं कि किसी भी सरकारी योजना में कम से कम 40 फ़ीसदी कमीशन देना ही होगा. नहीं देने पर कोई काम नहीं होगा. इसमें प्रशासन के लोगों से लेकर सत्तारूढ़ पार्टी के हर स्तर के लोग शामिल हैं. इसीलिए बंगाल की सरकार 40 फ़ीसदी कमीशन की सरकार है. मोदी ने कहा कि बंगाल में ऐसी दुर्दशा है कि अगर आप अपना व्यक्तिगत घर पर बनाते हैं तो स्थानीय तृणमूल नेता को कमीशन भी देना होगा और उसकी सहमति भी लेनी होगी.

पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां भाजपा के कार्यकर्ताओं की लगातार हत्याएं हो रही हैं. एक ऐसे ही पीड़ित परिवार से मिला तो पता चला कि आज तक हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई, क्योंकि वे सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. यहां हर एक योजना में भ्रष्टाचार है. प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े लोगों के मकान बन रहे हैं. सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों के मकान बन रहे हैं जबकि जो गरीब हैं, उन्हें कुछ नहीं मिल रहा. बंगाल के 70 से 80 लाख किसानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी किसान सम्मान निधि का लाभ मिलना चाहिए था लेकिन कुछ लोगों को ही मिल रहा है. 

उन्होंने कहा, ममता बनर्जी ने गरीबों के इलाज की बहुप्रशंसित योजना आयुष्मान भारत को लागू ही नहीं होने दिया ताकि बंगाल के लोग पीड़ित रहें. ममता चाहती ही नहीं हैं कि बंगाल के लोगों को केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिले, क्योंकि इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान की आशंका है. बम ब्लास्ट में रोज ही लोगों की मौत हो रही है. राजनीतिक हत्याओं के लिए बंगाल शीर्ष पर है. जाहिर सी बात है यहां भ्रष्टाचार पूरे देश में सबसे ज्यादा और जंगलराज की स्थिति है.

मोदी ने कहा कि ममता राज में माकपा से भी बदतर स्थिति है. यहां पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रही है. हाल ही में नीतीश कुमार कोलकाता आए थे और ममता बनर्जी से मिलकर गए हैं. 12 जून को पटना में विपक्षी महा बैठक भी प्रस्तावित थी, जो फिलहाल टल गई है. इस पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा कि जब एक डेट पर ये लोग सहमति नहीं बना सकते हैं तो ये लोग विपक्षी एकता क्या करेंगे? 

नीतीश जी दिल्ली गए और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर आए. उसके बाद उन्होंने मीटिंग की तारीख तय की. आखिर क्यों यह मीटिंग टालनी पड़ी? सच्चाई यह है कि विपक्षी एकता की बात करने वाला कोई भी नेता किसी दूसरे को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. ना तो ममता बनर्जी को नीतीश स्वीकार कर सकते हैं और ना ही नीतीश कुमार को कभी ममता स्वीकार करेंगी. नीतीश कुमार तो सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं. उनके पास केवल 44 विधायक हैं जबकि ममता बनर्जी 215 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री हैं. इसलिए यह एक-दूसरे को कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं.

मोदी ने कहा, "पटना की बैठक इसलिए टालनी पड़ी, क्योंकि कांग्रेस नहीं चाहती थी और कांग्रेस आगे भी नहीं चाहेगी कि यह बैठक हो. कांग्रेस का एकमात्र मकसद विपक्षी एकता का क्रेडिट राहुल गांधी को देना है. क्योंकि कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस का हौसला बुलंद है और वह दूसरे को क्यों विपक्षी एकता का श्रेय लेने देंगे? राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता की बात करने वाले माकपा और कांग्रेस कभी बंगाल में सीटों पर एकजुट नहीं हुए. इसलिए विपक्षी एकता का जो बैलून ये लोग फुला रहे हैं, इसमें ये खुद ही पिन मारेंगे और सभी एक दूसरे की टांग खींचेंगे. यह तमाशा भर है और कुछ नहीं."

उल्लेखनीय है कि कोलकाता में गत 24 अप्रैल को जब नीतीश कुमार ने ममता से मुलाकात की थी तो ममता ने पटना में विपक्षी एकता की बैठक बुलाने का आह्वान किया था. उसके बाद नीतीश कुमार ओडिशा गए और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिले. दिल्ली जाकर उन्होंने कांग्रेस नेताओं से भी मुलाकात की. उसी के मुताबिक 12 जून को बैठक होनी थी लेकिन कांग्रेस की सहमति नहीं मिलने की वजह से इसे टाल दिया गया है. इसे लेकर भाजपा लगातार तंज कस रही है.

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