पांच महीने में ही नेपाल की नई सरकार डगमगाने लगी लगी है. दिसंबर में चुनाव के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता पुष्प कमल दाहाल प्रचंड प्रधानमंत्री बने थे. 275 सदस्यीय संसद में वो 10 जनवरी को 268 सांसदों के समर्थन से विश्वास मत हासिल करने में सफल रहे थे.
प्रचंड ने इसके बाद शक्ति संतुलन बदला. इस वजह से केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन ब्यूएमएल) ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया. यूएमएल और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) विपक्ष में शामिल हो गए. प्रचंड को 20 मार्च को फिर से विश्वास मत हासिल करना पड़ा. उन्हें नेपाली कांग्रेस सहित 10 दलों और 2 निर्दलीय सांसदों सहित 172 सांसदों का समर्थन मिला.
छह मई से रवि लामिछाने नेतृत्व के (आरसीपी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. अब प्रचंड सरकार को नौ पार्टियों के 158 सांसदों का समर्थन है. विपक्ष में चार पार्टियों के 115 सांसद हैं, 2 स्वतंत्र सांसद हैं.
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