किसानों ने फिर शुरू की दिल्ली की घेराबंदी, रामलीला मैदान में जुटने लगे हजारों किसान


अपनी मांगों को लेकर किसान नेताओं ने एक बार फिर से दिल्ली की घेराबंदी शुरू कर दी है. कड़ी सुरक्षा के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान महापंचायत के लिए हजारों किसान सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्रित होने वाले हैं. रामलीला मैदान में होने वाली किसानों की इस महापंचायत को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर 2,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है.

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, महाराजा रणजीत सिंह मार्ग, मीरदर्द चौक, दिल्ली गेट, जेएलएन मार्ग, मिंटो रोड आर/एल, आर/ए कमला बाजार से हमदर्द चौक, अजमेरी गेट, भवभूति मार्ग, चमन लाल मार्ग, पहाड़गंज चौक पर निकलते समय ध्यान रखने की सलाह दी गई है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान में 20 मार्च को होने वाली ‘किसान महापंचायत' में हिस्सा लेने के लिए पूरे देश से लाखों किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी के लिए कूच किया है. विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त मंच एसकेएम ने पिछले महीने बताया था कि ‘किसान महापंचायत' कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गांरटी को लेकर दबाव बनाने के लिए बुलाई गई है.

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के लाखों किसान 20 मार्च को दिल्ली में आयोजित होने वाले ‘किसान महापंचायत' में हिस्सा लेने आ रहे हैं.एक संवाददाता सम्मेलन में एसकेएम नेता दर्शन पाल ने कहा कि केंद्र सरकार को 9 दिसंबर 2021 को हमें लिखित में दिए गए आश्वासन को पूरा करना चाहिए और साथ ही किसानों के सामने बढ़ते संकट को दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

गौरतलब है कि एसकेएम ने अब वापस हो चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल तक हुए किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. एसकेएम ने दिसंबर 2021 में अपना आंदोलन सरकार से प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने का आश्वासन मिलने के बाद वापस ले लिया था. एसकेएम ने केंद्र से एमएसपी पर गठित समिति को भंग करने की मांग की और आरोप लगाया है कि वह किसानों की मांग के विपरीत है.
किसानों ने पेंशन देने, कर्ज माफी, किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देने और बिजली विधेयक वापस लेने की मांग की है.

एसकेएम ने बयान में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया बिजली संशोधन विधेयक-2022 वापस लिया जाना चाहिए. केंद्र ने लिखित में आश्वासन दिया था कि वह एसकेएम से चर्चा के बाद विधेयक को दोबारा संसद में पेश करेगी, लेकिन इसके बावजूद उसने विधेयक पेश कर दिया. एसकेएम ने अपनी मांग दोहराई कि कृषि के लिए बिजली मुफ्त दी जानी चाहिए और ग्रामीण घरों से हर महीने 300 यूनिट बिजली पर कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए.

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