बिहार के शिक्षामंत्री चन्द्रशेखर की लगातार फजीहत हो रही है. कभी वह रामचरित मानस पर अधुरे ज्ञान को लेकर सवालों में आ जाते हैं. तो कभी वह प्रोफेसर होने के बाद भी अशुद्ध हिन्दी लिखने को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहते हैं. विधानसभा में इंटरप्शन को इंट्रोगेशन बोलने पर उनकी खिल्ली उड़ती है और अब बिहार विधानसभा के अध्यक्ष ने पूरी तैयारी के सदन नहीं आने के लिए उन्हें नसीहत दी है. दरअसल गुरुवार को सूबे के शिक्षा मंत्री शिक्षकों की बहाली को लेकर अपनी बात रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने सदन में स्वीकार किया कि अभी सूबे में शिक्षकों की कमी है. इसे दूर करने के लिए बहाली की जा रही है.
शिक्षामंत्री के जवाब के दौरान ही स्पीकर ने टोकते हुए कहा कि-मंत्री जी सदन की यह भावना है कि यदि शिक्षकों की कमी है तो नियमानुसार शिक्षिकों की भर्ती की जानी चाहिए. अगर इसमें कोई समस्या है तो इस मामले में सदन में चर्चा होनी चाहिए.
इसके साथ ही स्पीकर ने शिक्षामंत्री को यह नसीहत भी दी की वह अपने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर यह तय करें की किस तरह से शिक्षकों की कमी दूर करेंगे. स्पीकर ने शिक्षामंत्री से कहा कि सदन के अंदर पूरी तैयारी के साथ आए आधा -अधूरा काम करके आने से कोई फायदा नहीं होगा. इससे पहले शिक्षामंत्री पर सरकार में शामिल पार्टी जेडीयू के एमएलसी ने कहा था कि प्रो चन्द्रशेखर के दिमाग में जातिवादी जहर है.
जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने इशारों में कहा- सदन लोकतंत्र का मंदिर है. यहां हम सभी संविधान की शपथ लेते हैं. हम शपथ लेते हैं कि जाति धर्म से उठकर काम करेंगे. इसके बाद भी अगर ऐसे सवाल उठते हैं जिससे धार्मिक और जातीय विद्वेष पैदा हो तो ऐसे सवाल महज एक दिमागी जहर होता है जिसे तुरंत दूर किया जाना चाहिए. नीरज कुमार ने कहा कि देश संविधान से चलता है. रामचरितमानस या कुरान से नहीं.
इससे पहले बुधवार को शिक्षा मंत्री की उनकी अंग्रेजी ज्ञान को लेकर भी खूब फजीहत हुई थी. शिक्षामंत्री इंटरप्शन को इंट्रोगेशन बोलते नजर आए. इसके बाद जब उन्हें टोका गया तब भी वह इसका सही उच्चारण नहीं कर पाए. इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने उनके हिन्दी ज्ञान पर भी सवाल उठाया था. निखिल आनंद ने शिक्षामंत्री के ट्वीट में कई अशुद्धियों का जिक्र करते हुए तंज किया था कि कैसे प्रोफेसर हैं जिन्हें सामान्य हिन्दी के शब्द लिखने नहीं आते हैं.
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