मुंबई मेट्रो चलाने वाली 27 वर्षीय तृप्ति शेटे फिलहाल काफी रोमांचित और खुश हैं, दरअसल उनकी ट्रेन में बीती शाम पीएम नरेंद्र मोदी, देवेंद्र फडणवीस और सीएम एकनाथ शिंदे ने गुंदवली स्टेशन से लेकर मोगरा मेट्रो स्टेशन तक यात्रा की थी और फिर वापस आये थे। शेटे में पिछले साल पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को भी यात्रा कराई थी।
मुंबई: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुंबई के अंधेरी ईस्ट में मेट्रो के दूसरे पेज का न सिर्फ उद्घाटन किया बल्कि उसमें सफर भी किया। पीएम ने जिस मेट्रो में सफर किया उसको चलाने वाली पायलट तृप्ति शेटे काफी रोमांचित थी। मुंबई मेट्रो को चलाने के लिए 91 पायलट हैं जिनमे से 21 महिलायें हैं, उन्हीं में से एक तृप्ति भी हैं। जब उन्हें पता चला की मेट्रो में प्रधानमंत्री भी यात्रा करेंगे तो यह सुनकर वो काफी रोमांचित थीं। पीएम ने गुरुवार को मेट्रो 2 ए और मेट्रो 7 का उद्घाटन किया। सत्ताईस वर्षीय तृप्ति शेटे ने पिछले साल पेज वन के ट्रायल के दौरान तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को भी मेट्रो में यात्रा कराई थी। उस समय भी वही मेट्रो को चला रही थीं। तृप्ति कहती हैं, ' मैं काफी खुश थी कि मुझे वह मेट्रो ट्रेन चलाने का मौक़ा मिला जिसमे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने यात्रा की। यह मेरे लिए बड़े गर्व और सम्मान की बात है।
तृप्ति ने कहा कि आज मेरे माता-पिता और परिवार वाले काफी खुश हैं और उन्हें मुझ पर गर्व भी है। शाम तकरीबन 7 बजे पीएम मोदी, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने शेटे की मेट्रो में अंधेरी ईस्ट के गुंदवली से मोगरा स्टेशन तक की यात्रा की और फिर वापस आये थे। इस दौरान पीएम ने मुंबई के स्टूडेंट्स, असंगठित क्षेत्र के वर्कर्स और मेट्रो कर्मियों से बातचीत की।
तृप्ति से जब यह पूछा गया कि क्या आप नर्वस थी जब पीएम के मेट्रो में यात्रा करने की बात सुनी। इस सवाल पर तृप्ति ने कहा कि मई काफी खुश और रोमांचित थी लेकिन नर्वस बिलकुल भी नहीं थी। मैं एक ट्रेंड मेट्रो पायलट हूँ, नर्वस होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। मुझे मेरे सहयोगियों और मैनेजर का पूरा सहयोग है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) की रहने वाली तृप्ति शेटे एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और बैचलर्स की पढ़ाई की है। जिसके बाद साल 2020 में उन्होंने हैदराबाद में मेट्रो पायलट की बाकायदा ट्रेनिंग भी ली है।
तृप्ति शेटे ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे तीन साल तक नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ा। एक महिला होकर यह मौका हासिल करना मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। खासतौर पर 91 पायलट के बीच में खुद के लिए जगह बनाना। फिलहाल मैं यह कह सकती हूँ कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता और मेहनत करने वालों को मंजिल जरूर मिलती है।
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