इंडोर स्टेडियम दुमका में उद्योग विभाग के हस्तकरघा रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय के तहत रेशम उत्पादकों के एक दिवसीय प्रमाण्डलस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

 इंडोर स्टेडियम दुमका में उद्योग विभाग के हस्तकरघा रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय के तहत रेशम उत्पादकों के एक दिवसीय प्रमाण्डलस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।


दुमका जिला के साथ साथ पूरे संथाल परगना प्रमंडल में तसर से संबंधित रोजगार की अपार संभावनाएं हैं

इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि दुमका जिला के साथ साथ पूरे संथाल परगना प्रमंडल में तसर से संबंधित रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।जरूरत है सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की।आपके द्वारा बनाये जा रहे तसर के उत्पाद को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता है और योजनबद्ध तरीके से इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है।कहा कि आपके द्वारा निर्मित उत्पादों का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि उत्पादों की मांग बढ़े तथा इससे जुड़े लोगों की आय में वृद्धि भी हो सके।उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों तसर उत्पादन से जोड़ने का कार्य किया जाय तथा पूर्व से जुड़े लोगों को बेहतर ढंग से प्रशिक्षण दिया जाय ताकि वे अपनी आय को बढ़ाने की दिशा में कार्य कर सकें।उन्होंने कहा कि तसर उत्पादों की मार्केटिंग हेतु शहर के मुख्य स्थलों को चिन्हित करते हुए दुकान खोले जाएं तथा उत्पादों की बिक्री की जाय।साथ ही प्रमुख मॉल एवं दुकानों में भी यहाँ के सिल्क के उत्पाद उपलब्ध रहें।विशेष कर महिलाएं इस रोजगार से जुड़कर बेहतर आमदनी कर सकती है।नारगंज बड़ाचपुडिया जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों द्वारा निर्मित उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो इसे सुनिश्चित करना है।



तसर संथाल परगना की एक बड़ी पूंजी है

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित एसएसबी के कमांडेंट ने अपने संबोधन में कहा कि दुमका जिले में तसर उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।तसर संथाल परगना की एक बड़ी पूंजी है जो देश में ही नहीं पूरे विश्व में अपनी पहचान बना सकती है।इसके लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।तसर उत्पादन को लेकर दुमका जिला की अपनी एक अलग पहचान है।सभी का योगदान रहे तो इस ख्याति को और भी आगे बढ़ाया जा सकता है।


वन और तसर का एक मजबूत रिश्ता

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि वन और तसर का एक मजबूत रिश्ता है और इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता।कहा कि वन विभाग और रेशम विभाग अगर मिलकर कार्य करें तो तसर सिल्क और मयूराक्षी सिल्क के उत्पाद को बढ़ा सकते हैं।व्यवस्थित तरीके से कार्य किया जाय तो निश्चित रूप से तसर उत्पाद बढ़ेगा और जिले को एक नयी पहचान मिलेगा।

कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिक डॉ शांताकार गिरी ने कहा कि रेशम किसी पहचान मोहताज नहीं है।रेशम से बने उत्पाद की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी है।दुमका जिला के साथ साथ पूरा संथाल परगना प्रमंडल तसर उत्पादन में अपनी एक पहचान रखता है।कहा कि रेशम का धागा में सभी गुण मौजूद हैं।यह धागा जितना चमकीला होता है उतना ही लचीला होता है।वन से हर भरा प्रदेश होने के कारण यहां तसर का उत्पादन बहुत आसानी से किया जा सकता है उन्होंने कहा कि जंगली डाबा प्रजाति झारखंड की तसर की प्रजाति रही है आज झारखंड उड़ीसा सहित कई अन्य राज्यों में इस प्रजाति की खेती होती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जंगल घट रहा प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। यह समझने की आवश्यकता है कि तसर रेशम का जंगल है आधार है।





स्वागत संबोधन सहायक उद्योग निदेशक रेशम अरुण नारायण जायसवाल ने दिया।कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त द्वारा सहायक उद्योग निदेशक को सम्मानित किया गया।

इससे पूर्व सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

उपायुक्त एवं विशिष्ट अतिथियों के द्वारा 4 रेशम उत्पादकों को प्रशस्ति पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया।साथ ही विभागीय कर्मियों को भी इस दौरान सम्मानित किया गया।

दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत रूप से शुरुआत किया गया एवं पारंपरिक रीति रिवाज लोटा पानी से अतिथियों का स्वागत किया गया।



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