छठ पूजा: नहाए-खाए, खरना और अर्घ्य देने की सही तारीखें क्या हैं?


देश के कुछ राज्यों में छठ पूजा का विशेष महत्व है और मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत कर रही हैं. छठ पूजा का त्योहार चार दिनों तक चलता है और महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इस व्रत में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है.

इस साल छठ पूजा का त्योहार 8 नवंबर 2021, सोमवार को है. 8 नवंबर से नहाय-खाय शुरू होगा और इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना और 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है. 

पहला दिन: नहाय-खाय
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है और इस दिन स्नान के बाद सूर्य देवता को साक्षी मानकर व्रती महिलाएं व्रत का संकल्प लेती है. इसके बाद चने की सब्जी, चावल और साग का सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है.
 
दूसरा दिन: खरना
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता हे और इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. शाम को इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है और सबसे खास बात है कि इस खीर को मिट्टी के चुल्हे पर बनाने की परंपरा है.

तीसरा दिन: छठ
तीसरे दिन छठ होती है और इस दिन महिलाएं किसी तालाव, नदी या घाट पर जाती हैं. जहां छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है. यह पूजा में महिलाएं पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद वापस घर आकर कोसी भरने की परंपरा है.

चौथा दिन: पारण
छठ पूजा के चौथे दिन व्रत का पारण किया जाता है और छठ पर्व का समापन होता है. इस दिन महिलाएं सुबह सूर्यादय से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़ी होती हैं और उगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देती हैं. फिर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है.

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