एक बॉलीवुड फिल्म का लोकप्रिय डायलॉग है 'तारीख पे तारीख' है। कोर्ट में अनेक मामले लंबित हैं। इसको लेकर आम जनता में आक्रोश है। इस बार कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की है। दरअसल समय पर चार्जशीट जमा नहीं होने से बंगाल में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 27,267 हो गई है। राज्य भर में लंबित मामलों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी से कलकत्ता उच्च न्यायालय नाखुश है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की खंडपीठ ने जानना चाहा कि साल दर साल अदालतों में मामले क्यों लंबित हैं और इतने कम मामलों का निपटारा क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य को इस संबंध में सितंबर के पहले सप्ताह के भीतर एक हलफनामे के माध्यम से सभी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान का मामला दायर किया
-लंबे समय से कई मामलों में कोई प्रगति नहीं होने पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान का मामला दायर किया है। राज्य की विभिन्न अदालतों से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक समय पर चार्जशीट जमा नहीं होने से लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 27,267 हो गई है।
राज्य की ओर से महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने एक सूची के साथ कहा कि रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्रस्तुत सूची में कई मामलों का उल्लेख 'लंबित' के रूप में किया गया था, लेकिन संख्या का उल्लेख नहीं किया गया था। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत भी ऐसे मामले हैं जो राज्य के स्वामित्व वाले नहीं हैं। महाधिवक्ता ने कहा कि विभिन्न सरकारी विभाग मामले की जांच कर रहे हैं।
अदालत ने तब राज्य को एक हलफनामा प्रस्तुत करके जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। आंकड़ों के अनुसार देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लगभग 50.75 लाख मामले लंबित हैं। लेकिन जजों की संख्या बहुत कम है। जिससे कई मामलों की सुनवाई अटकी हुई है।
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