कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए गांव-गांव जाकर टीका देने के लिए टीका एक्सप्रेस की व्यवस्था सरकार ने की है। परंतु गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इसके नाम पर लोग कोसों दूर भाग रहे। टीका एक्सप्रेस के पहुंचते ही लोग वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम टीका देने के लिए जब कैंप लगा रही है तो लोग वहांं आते। प्रखंड के कई जगह स्वास्थ्य कर्मियों को अपमानित भी होना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी और टीका के प्रति अफवाह है।
टीका रथ को देखकर लोग पहुंचे लेकिन टीका लगवाया केवल तीन ने
बीते सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भलुआ में कोविड-19 का टीका देने के लिए रथ पहुंची। रथ को देखकर लोगों की भीड़ तो जरूर लगी परंतु जब टीका लेने का बारी आया तो मात्र तीन लोगों ने ही टीका लगवाया। भलुआ की कुल आबादी लगभग एक हजार की है। इसी तरह चांपी और पिपराही गांव में रथ पहुंचा परंतु इन दोनों गांवों में एक भी लोगों ने टीका नहीं लिया। यह स्थिति सिर्फ यहीं नहीं रूकी जयगीर और सोमिया गांव में भी लोगों ने टीका लेने से इन्कार कर दिया लेकिन। बरवाडीह गांव में लगभग 15 सौ से ऊपर की आबादी में तीन लोगों ने टीका लगवाया।
टीका नहीं लेने के पीछे बड़ा कारण है अफवाह
भलुआ पंचायत के तेतरिया गांव में लखन तुरी एवं रामवृक्ष तूरी अपने घर के बाहर बैठकर खिचिया बनाने का काम कर रहे थे। टीका लेने के बारे में जब पूछा गया तो इन दोनों ने एक ही बात बताया कि हम लोग जंगली इलाज से ही ठीक हो जाते हैं। टीका नहीं लेंगे इससे बहुत लोग मर रहे है और बीमार पड़ जा रहे हैं। इससे पता चलता है कि इनलोगों के बीच अफवाह फैली है। लखन और रामवृक्ष बताते हैं कि हम लोग भी बीमार पड़े थे बुखार लगा था। जंगल से चिरायता और कर्म पेड़ का छाल का काढ़ा पीकर हम लोग अपना बीमारी ठीक कर लिए। वह स्पष्ट कहते हैं कि हम लोग जंगली जड़ी बूटी से उपचार कर ही काफी सुखी और स्वस्थ हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण में काफी परेशानी लोगों को जागरुक करने का कर रहे प्रयास
स्वास्थ्य प्रबंधक राकेश रंजन सिंह बताते हैं कि बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र में अब तक 11 हजार 36 लोगों को टीका लगाया गया है। परंतु सुदूरवर्ती गांव में लोग टीका लगाने से भाग रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के पहुंची टीम के समझाने पर लोग इन्हीं से उलझ जा रहे हैं। टीका नहीं लेने की बात पर अड़े हुए हैं। हालांकि उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।