Income Tax कानून के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2021 है। लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार ने इस समयसीमा (Deadline) को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 कर दिया है। जिन युवाओं ने 2020 में कमाई शुरू की है, उनके लिए इनकम टैक्स से जुड़ी कुछ बातों को जानना बेहद जरूरी है। पहली कमाई की खुशियों के साथ ही आप पर इनकम टैक्स रिटर्न भरने की जिम्मेदारी भी आ जाती है।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की शुरुआत करने वालों के लिए इनकम टैक्स से जुड़ी शब्दावलियां काफी कठिन लगती हैं। टैक्सबेल इनकम, 26AS, फॉर्म 16, टीडीएस और टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट जैसे शब्द नई-नई नौकरी में आए युवाओं के लिए कन्फ्यूजन पैदा करते लगते हैं। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको कुछ बेसिक बातें बताते हैं, जिनसे ये चीजें आपको आसानी से समझ में आने लगेंगीं।
सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि किसी भी व्यक्ति (individual) को 1 अप्रैल 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक अर्जित आयत पर 30 सितंबर, 2021 तक आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा।
आयकर रिटर्न फाइलिंग का क्या मतलब है?
मोटे तौर पर वित्त वर्ष (financial year) की समाप्ति के बाद आपको पिछले साल अर्जित की गई अपनी आय की गणना (Calculation) के लिए तीन-चार महीने दिए जाते हैं। आपको यह समय आपकी कर योग्य आय की गणना और इसके मुताबिक टैक्स अदा करने के लिए दिया जाता है। अगर किसी व्यक्ति की शुद्ध कर योग्य आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो उसके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है।
आप पूछ सकते हैं कि शुद्ध कर योग्य आय क्या है? तो इसका सीधा मतलब यह है कि यह डिडक्शन को घटा कर हासिल कुल आय है। इनकम टैक्स एक्ट में कई डिडक्शन मौजूद हैं। आप जितना डिडक्शन इस्तेमाल करते हैं, आपकी टैक्स देनदारी उतनी ही कम होती जाती है। आयकर की धारा 80 के तहत 80सी, 80डी, 80ई वगैरह कई तहत डिडक्शन उपलब्ध हैं। इनका इस्तेमाल टैक्स बचाने और टैक्स देनदारी कम करने में होता है।
चूंकि आप टैक्सपेयर की दुनिया में अभी-अभी शामिल हुए हैं, इसलिए शायद आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के फायदे पता नहीं होंगे। आइए इन्हें जान लेते हैं।
लोन आसानी से मंजूर हो जाता है
आप चाहे भविष्य में कोई भी लोन लेना चाहें, चाहे वह गाड़ी के लिए हो या फिर होम लोन या पर्सनल हो, आईटीआर फाइलिंग की रिसिप्ट (पावती) आपके लिए अहम दस्तावेज साबित होता है। बैंक आपको लोन देने से पहले पिछले तीन साल का आईटीआर रिसिप्ट मांगता है। अगर आप यह देते हैं, तो आपका लोन जल्दी अप्रूव हो जाता है।
वीजा प्रोसेसिंग आसान हो जाती है
अगर आप वीजा के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं, तो पिछले सालों के आईटीआर रिसीप्ट मांगे जाते हैं। कई दूतावास आईटीआर की रिसीप्ट मांगते हैं, क्योंकि वे टैक्स नियमों का सख्ती से पालन कराते हैं।
घाटे को कैरी फारवर्ड करना आसान करता है
अगर आप शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और आपको घाटा होता है, तो घाटे को अगले साल कैरी फारवर्ड कराने के लिए निर्धारित समय सीमा में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है, क्योंकि अगले साल आपको अगर कैपिटल गेन होता है तो यह घाटा इस फायदे से एडजस्ट होगा और आपको लाभ पर टैक्स छूट का फायदा मिल सकता है।
अगर आपकी एक वित्त वर्ष में कमाई ढाई लाख रुपये से भी कम है, तो भी आप ऊपर बताए गए लाभ के लिए आईटीआर फाइलिंग कर सकते हैं। इसके साथ, यह भी याद रखें कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप पर दस हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसलिए इसे हल्के में न लें और समय से इनकम टैक्स रिटर्न जरूर फाइल करें।
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