MS Dhoni: खेती शरणम् गच्छामि... आउटलेट खुलते ही बाबा रामदेव से होने लगी धौनी की तुलना; धमाकेदार कमाई की तैयारी

क्रिकेट के महारथी महेंद्र सिंह धौन का किसान लुक उनके तमाम किरदारों पर भारी नजर आ रहा है। रविवार को झारखंड की राजधानी रांची में माही का पहला आउटलेट इजा फार्म के खुलते ही उनकी तुलना मार्केटिंग गुरु पतंजलि के सर्वेसर्वा बाबा रामदेव से की जा रही है। आर्गेनिक फॉर्मिंग के जरिये खेती-किसानी में काफी नाम कमा रहे क्रिकेटर धौनी की सब्जियों की डिमांड सात समंदर पार दुबई से भी आई है। राज्‍य ब्‍यूरो के सहयोगी के साथ यहां विस्‍तार से पढ़ें हमारा नियमित कॉलम खरी-खरी...

खेती शरणम् गच्छामि

क्रिकेट के महारथी का नया लुक तमाम पिछले किरदारों पर भारी है। वरना लोगों को तो रेलवे के टिकट कलेक्टर से लेकर एयरफोर्स के कप्तान तक के रोल याद हैं। हालांकि बड़ी बात यह है कि वे अपने ऊपर किसी किरदार को अधिक दिनों तक हावी नहीं होने देते और इसी कड़ी में नई भूमिका खेती को लेकर हुई है। बड़ी शानदार एंट्री हुई है और धमाकेदार कमाई भी।

मेरे देश की धरती सोना उगले... गाना अब अपने आप जुबां पर चढ़ने लगा है। तरह-तरह की सब्जियां खेत से निकलकर सीधे सोने के भाव बाजार में पहुंची। इतना मोल ऐसे ही थोड़े मिला है, शुद्धता के तमाम मानकों पर सफल होते हुए यह उपलब्धि हासिल हुई होगी। लोग तो इनकी तुलना मार्केटिंग वाले बाबा से करने लगे हैं जिन्होंने कमाई के कई रिकॉर्ड स्थापित किए। अब देखने की बात होगी कि खेती की कमाई क्रिकेट की कमाई पर पर भारी पड़ेगी या नहीं।

नारायण साथ तो गंगा पार

कमल दल में ट्रांसफर केस की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। मान-सम्मान के साथ टिकट भी मिलता है। यकीन नहीं तो पड़ोसी बंगाल में तांक-झांक कर लें। दल-बदलुओं के बूते ही मैदान में हैं। तो यहां भी छोटा भाई जिद कर बैठा है, बड़े भाई को मनाना ही होगा। वैसे भी केले की फिसलन को कौन नहीं जानता। परिणाम गवाह हैं, बड़ा झटका लगा था। अब तक करंट दौड़ रहा है।

गंगा में गोते लगाएंगे तो पुराने पाप भी तर जाएंगे। नारायण भी साथ हैं, गंगा ही पार लगेंगे। केला छोड़ कमल थामने में वक्त ही कितना लगता है। दोनों ही नारायण को समर्पित होते हैं, भेद करना तार्किक कतई न होगा। लेकिन कहीं दीप जलेगा तो कहीं दिल। गंगा के बहाव में राज उजड़े जा रहे हैं। किला ध्वस्त हुआ जाता है। राज-काज में ऐसा ही होता है, पुराना श्रम काम नहीं आता। ट्रांसफर केस की पैरवी ही कुछ ऐसी होती है।

ऑपरेशन आर

जहां सर्जरी की जरूरत हो वहां दवा काम नहीं करती। ऑपरेशन का तजुर्बा हो तो दाल कहीं भी गल ही जाती है। खाकी वाले राजकुमार अब फिर से ऑपरेशन पर हैं। सर्जरी का लंबा अनुभव रहा है, लेकिन भटक रहे थे दर-दर। कुछ तो अदावत भी थी बड़े हाकिम से। साहब को दी गई थी खुफिया गिरी के रास्ते घर बनाने की जिम्मेदारी। ऑपरेशन का तजुर्बा रखने वाले राजकुमार राज मिस्त्री तो थे नहीं, जो घर बनाते। फेल हो गए।

एक भी घर नहीं बना। लेकिन मास्टर माइंड की सर्जरी का अनुभव काम कर गया। ओटी में दोबारा एंट्री हो गई। ऑपरेशन को तलाशने में जुट गए हैं मरीज। घूम-घूम कर खोज रहे हैं मर्ज। हर मर्ज की सर्जरी का अनुभव रखते हैं। इनकी दवा, दुआओं के साथ चलती है। तो करें ऑपरेशन आर का इंंतजार, जल्द होगा साकार।

साधना का दौर

सिद्धार्थ से बुद्ध होना है तो जंगल का रुख तो करना ही होगा। असल ज्ञान वहीं मिलेगा। ज्ञान के सागर में गोते लगाने और बुद्धत्व को प्राप्त होने का मौका मिलता ही कितने लोगों को हैं। तो साहब को नसीहत यही है कि गुण-दोष से परहेज करें और सरकार हुजूर ने जंगल की जो राह दिखाई है वहां छिपी कृपा तलाशें। कृपा मिलेगी भी वहीं।

ग्रामीण विकास और ग्रामीणों की सेवा का व्रत टूटा तो क्या हुआ, अपना परमार्थ सधने का वक्त आ गया है। नियति ने घर वापसी कराई है, कुछ भला वहां का भी होना चाहिए। मूल विभाग है। साहब से अदावत रखने और बड़ा विकेट गिराने की खुशी मनाने वाले भी हो जाएं होशियार। इनकी फिल्डिंग का हुनर भी अनोखा है। लहर गिनने की कला के ज्ञाता बताए जाते हैं। जंगल में ऐसी साधना करेंगे कि दुश्मनों का हो जाएगा नाश।

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