भारत और बांग्लादेश के रिश्ते नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं। यह इस बात से प्रदर्शित होता है कि कोरोना महामारी के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश का चुनाव किया। लेकिन यह एकतरफा नहीं है, बांग्लादेश भी भारत के साथ रिश्तों को उतनी ही अहमियत दे रहा है, यही वजह रही कि दो दिनी यात्रा पर ढाका पहुंचने पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद एयरपोर्ट पर पहुंचकर मोदी की अगवानी की।
पीएम मोदी ने दिए बड़े संकेत ढाका की जमीन पर पैर रखने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वहां के एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित अपने आलेख में कहा कि भारत और बांग्लादेश एक साथ स्वर्णिम भविष्य की तरफ आगे बढ़ेंगे। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आलेख में उन तैयारियों की तरफ इशारा किया है जिसको लेकर न सिर्फ भारत और बांग्लादेश के बीच बल्कि कुछ दूसरे देशों के साथ भी वार्ता हो रही है।
चीन के खतरे का निकल सकता है स्थाई समाधान
पिछले तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने की कई योजनाओं को लागू करने के बाद भारत सार्क क्षेत्र के इस सबसे भरोसेमंद मित्र राष्ट्र के साथ मिलकर दूसरी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लागू करने की मंशा रखता है। अगर भारत सरकार की यह मंशा कामयाब हो गई तो आने वाले दिनों में सभी पूर्वोत्तर राज्यों पर चीन के खतरे का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
अभी तो शुरुआत है...
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले दो वर्षों में रेल और जल मार्ग के संदर्भ में आधा दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं की शुरुआत हुई है, लेकिन यह भविष्य में शुरू की जाने वाली परियोजनाओं को लेकर सिर्फ संकेत है। भारत बांग्लादेश के बीच वहां के दो सबसे बड़े बंदरगाहों मंगला और चट्टोग्राम के आधुनिकीकरण व विस्तार की योजना पर बात हो रही है। इसमें जापान भी भारत के साथ शामिल है।
भारत की भावी योजना
1- बांग्लादेश के लिए एक पावर प्लांट लगाना
2- मंगला और चट्टोग्राम पोर्ट का आधुनिकीकरण
3- पेट्रो उत्पादों की आपूर्ति के लिए बड़ा पाइपलाइन नेटवर्क
क्यों महत्वपूर्ण हो गया ढाका
1. पूर्वोत्तर राज्यों को चीन की नजर से बचाने के लिए बांग्लादेश से कनेक्टिविटी जरूरी
2. बांग्लादेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था को भारत के साथ जोड़ने से दोनों देशों का बड़ा फायदा
3. हिंद प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के मद्देनजर भी होगी बांग्लादेश की बड़ी भूमिका
बड़ा पावर प्लांट लगाने पर भी हो रही बात
इसके अलावा दोनों देशों के बीच बांग्लादेश की बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए वहां एक बड़ा पावर प्लांट लगाने को लेकर भी बात हो रही है। अभी भी भारत बांग्लादेश की कुल खपत की तकरीबन 20 फीसद बिजली देता है। लेकिन वहां जिस तेजी से अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है उसे देखते हुए बिजली की खपत भी बढ़ने की संभावना है। इसी तरह बांग्लादेश में पेट्रो उत्पादों की खपत भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है।
एलएनजी टर्मिनल लगाने का प्रस्ताव
अभी भारत सिलीगुड़ी से पार्बतीपुर (बांग्लादेश) के बीच 130 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछा रहा है जिससे डीजल की आपूर्ति की जा रही है लेकिन हाल ही में भारत ने प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार के समक्ष वहां एलएनजी टर्मिनल लगाने का प्रस्ताव रखा है। इस टर्मिनल को बाद में बांग्लादेश और भारत के एक संयुक्त गैस पाइपलाइन नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। इससे पूर्वोत्तर राज्यों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चत हो सकेगी।
दोनों देशों के बीच हो रही बातचीत
इन सभी परियोजनाओं पर हाल के दिनों में ही दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू हुई है और इन पर अंतिम फैसला होने में अभी कुछ वक्त लगने के आसार हैं। इनमें से अधिकांश परियोजनाओं के व्यापक रणनीतिक महत्व हैं। खास तौर पर मंगला और चट्टोग्राम बंदरगाह के विस्तार संबंधी परियोजना को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व से जोड़कर देखा जा रहा है।
पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा होगी चाकचौबंद
भारत और जापान के बीच भी बांग्लादेश में संयुक्त तौर पर विकास परियोजना लागू करने को लेकर संपर्क बना हुआ है। इसके अलावा कनेक्टिविटी परियोजनाएं लागू होने से भारत पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा आश्वस्त हो सकेगा। साथ ही भारत को यह भी उम्मीद है कि बांग्लादेश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को मदद देने और उससे जुड़ने का फायदा दोनों देशों को समान तौर पर होगा।
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