श्मशान घाट हादसा: बारिश से बचने के लिए लिया जिस छत का सहारा, वही बनी काल, 24 घंटे में दूसरी बार उठी घर से अर्थी


उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुई दर्दनाक घटना के बाद से निर्दोष लोगों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तक इस घटना में 25 लोगों की जान चली गई है. गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार के दिन श्मशान घाट की छत गिर गई थी.

दिल्ली निवासी अरविंद कुमार अपने दादा की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए उत्तरप्रदेश के मुरादनगर पहुंचे थे, जहां श्मशान की छत में दबने से उनकी भी मौत हो गई. अब परिवार एक और अंत्येष्टि की तैयारी कर रहा है. अरविंद के परिवार ने दो दिन में दो लोगों को खो दिया है.अरविंद के जाने की घटना से ग़मगीन उसके बड़े भाई राकेश कुमार ने अपना दर्द बताते हुए कहा 'हमारे लिए सब कुछ खत्म हो चुका है.

राकेश कुमार ने श्मशान घाट की घटना के बारे में बताया, ''मैंने अपने भाई को मोबाइल पर कॉल किया, उसका फोन किसी दूसरे आदमी ने उठाया. उसने मुझे श्मशान की छत गिरने के बारे में बताया. जिसके बाद हम घटनास्थल की ओर भागे. हमें अपने भाई का शरीर बाहर निकालने में दो घंटे लग गए, अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.''

अरविंद की मां जो किसी तरह उस छत के नीचे आने से बच गई थीं, अपने बच्चे की मौत से एकदम टूट गई हैं. उन्हें एमएमजी जिला अस्पताल के शवगृह के सामने अपने 36 साल के बेटे का इंतजार करना पड़ा, एक मां के लिए इस इंतजार से कठिन घड़ी क्या हो सकती थी.

मुरादनगर स्थित एक श्मशान घाट में कुछ लोग अंत्येष्टि कार्यक्रम में शामिल हुए थे. तभी बारिश हो गई, जिसके कारण वे लोग नवनिर्मित लिंटल वाली छत के नीचे इकट्ठे हो गए. तभी छत नीचे इकट्ठे लोगों के ऊपर ही गिर गई. जिसमें दबकर अभी तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 15 अन्य गंभीर रूप से घायल हैं.


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