इस साल किसान आंदोलन के बीच 'राष्ट्रीय किसान दिवस' मनाया जा रहा है। पिछले 28 दिनों से किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि इन तीनों कानूनों से किसानों को बड़ा फायदा होगा। इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसानों की आय में इजाफा होगा, तो वहीं किसान तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच बुधवार को पूरे देश में 'राष्ट्रीय किसान दिवस' मनाया जा रहा है। हर साल 23 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर 'राष्ट्रीय किसान दिवस' मनाया जाता है।
चौधरी चरण सिंह के कारण देश में जमींदारी प्रथा खत्म हुई थी। वो देश के जानेमाने किसान नेता थे जिनका राष्ट्रीय राजनीति में योगदान अहम है। राष्ट्रीय किसान दिवस को मनाने की शुरुआत 2001 से हुई थी। चौधरी चरण सिंह द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। इसके कारण ही उत्तर प्रदेश में एक जुलाई 1952 को जमींदारी प्रथा खत्म हुई थी और गरीबों को उनका अधिकार मिला था।
चौधरा चरण सिंह ने 1954 में किसानों के लिए उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया और तीन अप्रैल 1967 को वो यूपी के सीएम बने। इसके बाद उन्होंने 17 अप्रैल 1968 को पद से इस्तीफा दे दिया था और राज्य में दोबारा चुनाव करवाए गए। इन चुनावों में उन्हें जीत हासिल हुई और वो दोबारा 17 फरवरी 1970 को प्रदेश के सीएम बने।
28 दिनों से जारी है किसानों का प्रदर्शन
पिछले 28 दिनों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं और कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं। अब किसान केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने की तैयारी में जुट गए हैं। किसान नेताओं ने इंग्लैंड के सांसदों को पत्र भेजकर अपील की है कि वे अपने प्रधानमंत्री को किसानों के समर्थन में भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करने के लिए आने से रोकें। किसानों ने देर शाम सरकार को जवाब देने के लिए भी अपनी रणनीति का एलान किया है। बुधवार को सभी संगठनों से मंत्रणा करने के बाद यह जवाब केंद्र को भेजा जाएगा। इसमें किसानों का सवाल है कि केंद्र सरकार बताए कि कृषि कानून रद होंगे या नहीं, इसके बाद वह बताएंगे कि बातचीत के लिए जाएंगे या नहीं।
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