पश्चिम बंगाल में लोकल ट्रेन का मुद्दा बना केंद्र बनाम राज्य, हो रही तीखी बयानबाजी

 

रेलवे पटरियों पर घंटों बैठना और सरकारी कर्मचारियों को ले जाने वाली उपनगरीय ट्रेनों की आवाजाही को बाधित करना अब पश्चिम बंगाल के जिलों में लगभग एक हफ्ते से रोजाना का मामला बन गया है. एक ओर जहां लोग पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोग हावड़ा, हुगली, साउथ 24 परगना, नॉर्थ 24 परगना, बर्धमान और यहां तक ​​कि नादिया जैसे पड़ोसी जिलों से भी कोलकाता जाने के लिए ट्रेनों में जबरदस्ती चढ़ रहे हैं.

गौरतलब है कि लाखों दैनिक यात्री अपनी नौकरी या अन्य उद्देश्यों के लिए हर दिन राज्य की राजधानी (कोलकाता) की यात्रा करते हैं लेकिन फिलहाल उनके लिए यह सुविधा ठप पड़ी है. दरअसल ट्रेन में यात्रा करना अधिक आसान, सस्ता और कम समय लेने वाला होता है जबकि सड़क से इतनी ही दूरी दिन का आधा हिस्सा ले सकती है.

अनलॉक- 5 के बाद भी, बंगाल में उपनगरीय ट्रेनें चालू नहीं हैं, इसलिए आम लोगों के लिए समस्याएं बढ़ रही हैं. जिसके परिणामस्वरूप आजीविका का नुकसान भी हुआ है. हुगली जिले के पंडुआ की रहने वाली रुखसाना बीबी ने अपनी आंखों में आंसू के साथ अपनी स्थिति व्यक्त की और सरकार से जल्द से जल्द सेवा फिर से शुरू करने का अनुरोध किया.

रुखसाना बीबी ने कहा, "हम मार्च से ही घर पर बैठे हैं. अब अगर ट्रेन सेवा शुरू नहीं होगी तो कमाई कैसे करेंगे. मैं घर से जुड़े काम करती थी लेकिन अब ट्रैवल करने की परमिशन ही नहीं है. सरकारी स्टाफ लगातार ट्रैवल कर रहा है, वो वायरस से संक्रमित नहीं हो रहे लेकिन अगर हम ट्रैवल करेंगे तो ये फैलेगा. अब तो यही सही होगा कि हम भूख से ही मर जाएं. हमें ओवरलोड बस में जाना पड़ता है. हमारे भी घरों में बच्चे हैं लेकिन फिर भी हमें भीड़ भरी बस में सफर करना पड़ता है."

पूर्वी रेलवे में हावड़ा डिवीजन के डीआरएम इशाक खान ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभी तक सेवाओं को फिर से शुरू करने के बारे में हेड क्वार्टर से कोई प्रतिबंध नहीं है. यह राज्य सरकार पर है, उसे ही इसके लिए प्रारंभिक अनुमति देनी है.

टीएमसी नेता ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

ट्रेन के संचालन की मांग ने अब बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए टीएमसी को मौका दे दिया है. दरअसल बीजेपी पश्चिम बंगाल में विपक्ष में है लेकिन केंद्र की सत्ता में है और रेलवे उसी सरकार के अधीन है. चूंकि बंगाल में उप-शहरी रेलवे का परिचालन शुरू करना अभी बाकी है, इसलिए इस गतिरोध ने अब एक राजनीतिक मोड़ के साथ-साथ केंद्र बनाम राज्य का रूप ले लिया है.

टीएमसी नेता असित चट्टोपाध्याय ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा, "हम चाहते हैं कि लोकल ट्रेन सेवा फिर से शुरू हो. यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है क्योंकि रेलवे केंद्र सरकार के अधीन है. हजारों लोग अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. वे काम-धंधे नहीं कर पा रहे इसलिए भूख के कारण मरने के लिए मजबूर हैं. मैं केंद्र से अनुरोध करता हूं कि वह जल्द से जल्द रेल सेवा फिर से शुरू करें. हम पांडुआ स्टेशन गए और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की. इसके साथ ही, रेलवे अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे इस सेवा को फिर से शुरू करें."

बीजेपी सांसद ने राज्य सरकार पर बोला हमला

इसके बाद बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी भी अपनी पार्टी के बचाव में उतर पड़ीं. हावड़ा के मंडल रेल प्रबंधक से मिलने के बाद, उन्होंने राज्य सरकार पर दोषारोपण किया.

लॉकेट चटर्जी ने उन जरूरतमंदों के लिए अपनी चिंता व्यक्त की जो दूरदराज के क्षेत्रों से पैसा कमाने के लिए यात्रा करते हैं और कहा, "जो लोकल ट्रेन चल रही है वह आम यात्रियों के लिए नहीं बल्कि आवश्यक सेवा के लिए है. मुझे पता है कि भीड़ के इकट्ठा होने के साथ कोरोना वायरस का प्रसार बढ़ेगा लेकिन हमें जरूरतमंदों के बारे में सोचना होगा. पैसे कमाने के लिए विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान दूरदराज के क्षेत्र से यात्रा करने वाले लोगों के लिए लोकल ट्रेन सेवा को फिर से शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है. हर परिवहन सेवा फिर से शुरू हो गई है और उससे भी महामारी फैल सकती है."

राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए लॉकेट चटर्जी ने कहा, "मध्य रेलवे के महासचिव ने दो बार राज्य सरकार को यह कहते हुए लिखा कि "हम सेवा को फिर से शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं", लेकिन राज्य सरकार ने बैठक आयोजित करने की जहमत नहीं उठाई. राज्य सरकार जरूरतमंदों के लिए कोई भावनाएं नहीं रखती है. टीएमसी केवल गरीब लोगों के बारे में बात करती है लेकिन उनके लिए कभी कुछ नहीं करती है. मुझे लगता है कि ममता बनर्जी गरीब लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए प्यार करती हैं. मैं सभी को सूचित करना चाहूंगी कि केंद्र सेवा को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है लेकिन राज्य सरकार इसके लिए सहमत नहीं है."

डीआरएम बोले- चाहिए होगी राज्य सरकार की मदद

हावड़ा डिवीजन के डीआरएम इशाक खान ने इस मुद्दे पर कहा, "यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि इस महामारी की स्थिति के बीच इसे शुरू किया जाए या नहीं. यदि हम रेल सेवा को फिर से शुरू करते हैं तो हमें राज्य सरकार से मदद की आवश्यकता होगी. पश्चिमी और मध्य रेलवे में ई-पास सेवाएं हैं, जिन्हें यात्रियों द्वारा ऑनलाइन जनरेट करने की आवश्यकता है. हमें तीन मॉड्यूल पर काम करना होगा, पहले, कितनी ट्रेनों को एक बार चलाने की आवश्यकता है? कितने स्टॉपेज आवंटित किए जाएंगे? किसे अनुमति दी जाएगा या कौन यात्रा करने में सक्षम होगा? सरकार को रास्ता निकालना है, चाहे वह ई-पास हो या कुछ भी."


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