सबसे खराब दौर में भारत की इकोनॉमी, लंबे लॉकडाउन ने तोड़ी कमर: विश्वबैंक

कोरोना महामारी को रोकने के लिए बीते 25 मार्च से लंबे समय तक देश में सख्‍त लॉकडाउन किया गया था. इस लॉकडाउन की वजह से देश की इकोनॉमी में बड़ी गिरावट की आशंका है. ये आशंका विश्वबैंक ने जाहिर की है. विश्वबैंक के मुताबिक जीडीपी में नकारात्‍मक में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. 

क्‍या कहा विश्वबैंक ने 

विश्वबैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफी खराब है. उसने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों व लोगों को आर्थिक झटके लगे हैं. इसके साथ ही महामारी के प्रसार को थामने के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.

हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर वापसी कर सकती है और 4.5 प्रतिशत रह सकती है. विश्वबैंक ने कहा कि आबादी में वृद्धि के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति आय 2019 के अनुमान से छह प्रतिशत नीचे रह सकती है. इससे संकेत मिलता है कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर भले ही सकारात्मक हो जाये, लेकिन उससे चालू वित्त वर्ष में हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी. 

आपूर्ति व मांग की स्थिति बाधित 

विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस और इसकी रोकथाम के उपायों ने भारत में आपूर्ति व मांग की स्थिति को गंभीर रूप से बाधित किया है. विश्वबैंक ने कहा कि गरीब परिवारों और कंपनियों को सहारा देने के बाद भी गरीबी दर में सुस्ती आई है.

विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हेंस टिमर ने  कहा, "हमने सर्वे में देखा है कि कई लोगों की नौकरी चली गयी है. गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि हो रही है. ये सभी ऐसी कमजोरियां हैं, जिनसे भारत को जूझना है." वहीं, विश्वबैंक ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में 2020 में 7.7 प्रतिशत की आर्थिक गिरावट आने की आशंका जाहिर की है. इस क्षेत्र में पिछले पांच साल के दौरान सालाना छह प्रतिशत के आसपास की वृद्धि देखी गयी है.  


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