कोरोना संकट केंद्र सरकार के लिए राजस्व के मोर्चे पर भी भारी पड़ रहा है. कॉरपोरेट टैक्स और केंद्रीय जीएसटी संग्रह में भारी गिरावट आई है. लॉकडाउन के बाद अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
हालांकि इस दौरान एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन में 32 फीसदी की अच्छी बढ़त हुई है. राजकोषीय घाटा सरकार के बजट अनुमान 7.96 लाख करोड़ रुपये से भी 109 फीसदी ज्यादा है.
कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में गिरावट
इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त तक के पांच महीनों में सकल कर संग्रह 5.04 लाख करोड़ रुपये का ही रहा जो पिछले साल की समान अवधि में हुए 6.6 लाख करोड़ के मुकाबले महज 76 फीसदी है, यानी इसमें 24 फीसदी की गिरावट आई है. कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 64,715 करोड़ रुपये का हुआ, जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले (1.11 लाख करोड़ रुपये) 58 फीसदी कम है.
कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में बड़ी गिरावट की दो वजह हो सकती है. पहली बात तो यह है कि कोरोना संकट की वजह से कॉरपोरेट के मुनाफे में भारी गिरावट आई है और दूसरे पिछले साल सितंबर में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती भी कर दी है.
आगे की राह भी मुश्किल
ICRA लिमिटेड की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट अदिति नायर कहती हैं, 'आगे की बात करें तो कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में और गिरावट ही देखी जा सकती है, क्योंकि कॉरपोरेट टैक्स में बदलाव के बेस का असर दिखेगा.' इस दौरान इनकम टैक्स कलेक्शन भी 29 फीसदी गिरकर 1.18 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. एक साल पहले इसी अवधि में यह 1.65 लाख करोड़ रुपये था.
अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान केंद्रीय जीएसटी (CGST) कलेक्शन में भी 40 फीसदी की गिरावट आई है. इस दौरान 1.25 लाख करोड़ रुपये का सेंट्रल जीएसटी कलेक्शन हुआ, जबकि साल 2019 की इस अवधि में सीजीएसटी का संग्रह 2.1 लाख करोड़ रुपये का हुआ था.
एक्साइज ड्यूटी संग्रह में अच्छी बढ़त
हालांकि सीजीएसटी और कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में भारी गिरावट के बावजूद अगर कुल टैक्स संग्रह में सिर्फ 24 फीसदी की गिरावट आई है, तो इसकी वजह यह है कि एक्साइज ड्यूटी के संग्रह में 32 फीसदी की बढ़त हुई है. अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान कुल एक्साइज ड्यूटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये का रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 76,300 करोड़ रुपये ही था.
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