बंगाल से किसी सांसद को बनाया जा सकता है रेल राज्य मंत्री, कैबिनेट में जगह खाली

कोरोना की चपेट में आने से रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन से केंद्रीय कैबिनेट में खाली जगह को भरने की कवायद शुरू हो गई है. 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा उम्मीद है कि रेल राज्य मंत्री की सीट बंगाल से किसी सांसद को मिल सकती है.   

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उच्च सूत्र ने इस बात की पुष्टि की है कि बंगाल के किसी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. सूत्र ने बताया, 'हम केंद्रीय मंत्रिमंडल में बंगाल से किसी सांसद को लिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बंगाल से अभी में केवल दो राज्य मंत्री हैं. रेलवे महत्वपूर्ण है. ममता बनर्जी भी रेल मंत्रालय संभाल चुकी हैं. ऐसे में पार्टी के लिए उनके (ममता बनर्जी) दावों को उजागर करना आसान होगा.'

फिलहाल, बंगाल से बीजेपी के 18 सांसद हैं. रूपा गांगुली बंगाल से राज्यसभा सांसद हैं जिनका कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है. बीजेपी की तरफ से नामित राज्यसभा सांसद स्वप्नदास गुप्ता का कार्यकाल भी अगले साल खत्म हो रहा है. 

रेल राज्य मंत्री देकर बंगाल को मोर्चे पर लाना है. इससे पार्टी नेतृत्व साफ संदेश देना चाहता है कि वह राज्य विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है. हाल ही में बीजेपी ने राज्य और केंद्रीय नेतृत्व दोनों में कई बदलाव किए हैं, लेकिन इनमें कुछ ध्यान देने योग्य भी हैं.

वोट बैंक और चुनावी समीकरण

बहरहाल, अभी हाल ही में उत्तर बंगाल से एक टीएमसी नेता ने बीजेपी ज्वॉइन की है जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते हैं. उत्तर बंगाल में राजबंशी और साउथ बंगाल में मटुआ समुदाय का गणित काफी मायने रखता है. चुनाव आसान नहीं होगा लेकिन राजनीतिक विकल्प वोट के गुणा भाग पर आधारित होते हैं.

उत्तर बंगाल के तीन जिलों- कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में राजबंशी अहम भूमिका निभाते हैं. इन तीनों जिलों से अभी बीजेपी के सांसद हैं जिसका 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव है. इन तीन सांसदों में कूचबिहार से निशीथ प्रमाणिक, जलपाईगुड़ी के सांसद जयंत रॉय राजबंशी शामिल हैं जिनका इन इलाकों में जनाधार मजबूत माना जाता है. वहीं अलीपुरद्वार से जॉन बारला को क्षेत्र में जनजातीय समर्थन प्राप्त है. ये तीनों प्रबल दावेदार हैं. 

लॉकेट चटर्जी संसद की राजनीति में पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण रही हैं. वो केंद्र में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को भी पूरा करती हैं. दुर्गापुर से सांसद एस एस अहलूवालिया संसद की राजनीति में दो दशक से अधिक समय से हैं. पूर्व में मंत्री भी रहे हैं. लेकिन पार्टी का फोकस अभी उन चेहरों पर है जो राज्य में बड़े पैमाने पर मास अपील करते हैं. 

बंगाल पर फोकस, बंटी जिम्मेदारी

बंगाल में बीजेपी के 18 में से 11 सांसदों को पार्टी संगठन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. दार्जिलिंग से सांसद राजू बिस्टा को राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में प्रमोशन दिया गया है. रायगंज से सांसद देवश्री चौधरी महिला और बाल विकास राज्यमंत्री हैं. मालदा उत्तर से सांसद खगेन मुर्मू को पश्चिम बंगाल का अनुसूचित जनजाति मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है. बलुरघाट से सांसद सुकांत मजूमदार अब उत्तर बंगाल के सह प्रभारी हैं.

हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी पश्चिम बंगाल बीजेपी की महासचिव हैं. बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह राज्य में पार्टी उपाध्यक्ष हैं. पुरुलिया से सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो अभी बंगाल बीजेपी के महासचिव हैं. बिष्णुपुर के सांसद सौमित्र खान को युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. मेदिनीपुर से सांसद दिलीप घोष पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं.

बांकुड़ा सांसद डॉ. सुभाष सरकार को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो अभी वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री हैं. 

मुकुल रॉय अखिल भारतीय उपाध्यक्ष हैं जबकि अनुपम को राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है. दोनों नेताओं ने टीएमसी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था. संदेश साफ है कि बंगाल विधानसभा में जीत पर पार्टी का फोकस है. 


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