लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख इलाके में भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। बीती रात चीन की सेना ने लद्दाख में एक बार फिर घुसपैठ की कोशिश करते हुए भारतीय चौकी की तरफ फायरिंग की। इसका जवाब देते हुए भारतीय सेना ने भी फायरिंग की। वहीं, इस घटना के बाद अब चीन ने एक बार फिर भारत पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने पूरी घटना का दोष भारत पर मढ़ा है। उसका कहना है कि भारतीय सेना ने गैरकानूनी तरीके से एलएसी पार की और पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे में घुस आए। भारतीय सैनिकों ने ही पहले गोली चलाई। जवाब में चीनी सेना को जबरन फायरिंग करनी पड़ी। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के हवाले से पैंगोग सो के पास झड़प का दावा किया है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल हालात कंट्रोल में है।
उधर, चीन से जारी तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर आज चार दिवसीय रूस यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। वहां विदेश मंत्री शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री याग यी के बीच मॉस्को में बातचीत होने वाली है। इससे पहले शुक्रवार को ही सीमा को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंग के बीच मॉस्को में बातचीत हुई थी।
1975 में चली थी गोली
भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सोमवार देर रात दोनों देशों के बीच 45 साल बाद फायरिंग की घटना हुई। लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर पिछली बार 1975 में गोलियां चली थीं। उस समय अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पैट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हुए थे। 1993 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें सहमति बनी थी दोनों देश सीमा पर किसी भी हाल में फायरिंग नहीं करेंगे। इसी समझौते के चलते 15 जून को गलवन घाटी में हिंसक झड़प के बावजूद गोली नहीं चली थी।
नहीं निकला ठोस समाधान
एलएसी पर जारी तनाव को कम करने के लिए पिछले ढाई महीने में भारत और चीन के बीच कई बार सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सीमा विवाद का कोई ठोस समाधान नहीं निकला। गलवन घाटी में 15 जून को हुई झड़प और पिछले महीने की 29 और 31 तारीख को दक्षिण पैंगोंग झील के किनारे घुसपैठ की कोशिश के बाद फायरिंग की यह बड़ी घटना है। उस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये थे। इस दौरान चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने उसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक उस घटना में 35 चीनी सैनिक हताहत हुए थे।
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