अगर बेड खाली है तो कोरोना के मरीजों को दाखिला देना पड़ेगा। एक पीआइएल पर सुनवायी करते हुए चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी के डिविजन बेंच ने आदेश दिया है। इस पीआइएल में कहा गया था कि बेड खाली होने के बावजूद कोरोना के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है। इसके अलावा ऐसा कोई डाटा नहीं है जिससे लोगों को यह जानकारी मिल सके कि सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए कितने बेड खाली हैं।
अस्पताल के बुनियादी कर्तव्य का उल्लंघन है
सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए एजी किशोर दत्त ने कहा कि राज्य सरकार ने एक डाटाबेस तैयार किया है। इससे लोगों को यह सूचना मिलती रहती है कि किस अस्पताल में कोरोना के मरीजों के लिए कितने बेड खाली है। उनका दावा था कि पिटिशनर पृथविजय दास की यह पीआइएल पूरी तरह मीडिया की खबरों पर आधारित है। हालांकि पिटिशनर के एडवोकेट ने एजी के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पिटिशनर की इस चिंता की तारीफ करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी निजी या सरकारी अस्पताल अगर बेड उपलब्ध है तो कोरोना के मरीज को भर्ती करने से इनकार नहीं कर सकता है। उपयुक्त कारण के बगैर भर्ती करने से इनकार करना अस्पताल के बुनियादी कर्तव्य का उल्लंघन है। अगर कोई अस्पताल बेड होने के बावजूद कोरोना के मरीज को भर्ती नहीं करता है तो वेस्ट बंगाल हेल्थ रेगुलेटरी कमीशन से इसकी शिकायत की जा सकती है।
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