लॉकडाउन से पूर्वी भारत के सबसे बड़े कपड़ा हब को 15.5 लाख करोड़ का नुकसान


लॉकडाउन से पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कपड़ा हब बड़ा बाजार संकट में है। करीब 15 हजार कारोबारी अपनी दुकान तो खोल रहे हैं, मगर ग्राहक नदारद हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए एक सर्वे के अनुसार गत 100 दिनों में छोटे एवं मझोले कपड़ा कारोबारियों को करीब 15.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अगर यही स्थिति कुछ दिन और जारी रही तो 20 प्रतिशत कारोबारी अपना व्यापार बंद करने को बाध्य हो जाएंगे।

कारोबारियों के अनुसार कारोबार पटरी से उतर गया है। किसी दिन तो बिक्री का श्री गणेश भी नहीं हो रहा। पहले जहां सुबह से रात तक बाजार में रौनक थी, आज सन्नाटा पसरा है। व्यापारी वित्तीय संकट में फंसते जा रहे हैं। कमोबेश पूरे देश के कपड़ा उद्योग का ऐसा ही हाल है। कपड़ा उद्योग इन दिनों बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। ईद, शादी का सीजन भी निकल गया। इस समय व्यापारी दुर्गा पूजा के कारोबार में लग जाते थे। बढ़ते संक्रमण के चलते वे फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं।

लॉकडाउन के कारण आमदनी तो बंद, मगर खर्च का अंत नहीं

पूर्वी भारत में टेक्सटाइल ट्रेड एंड बिजनेस के लिए शीर्ष निकाय चेंबर ऑफ टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री (कोट्टी) के सचिव महेंद्र जैन कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण आमदनी तो बंद हो गई है मगर खर्च का कोई अंत नहीं है। कर्मचारियों को वेतन, दुकान का किराया, बिजली बिल, सरकार को विभिन्न टैक्स देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। सरकार ने कमजोर तबके के लिए मुफ्त अनाज, आर्थिक सहायता दी, अन्य इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज की घोषणा की, मगर कपड़ा उद्योग के लिए कुछ नहीं किया। जबकि कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला यह उद्योग है। यह उद्योग सालाना 10 लाख करोड़ रुपए का कारोबार करता है। इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 7 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं।

अरुण भुवालका, अध्यक्ष, चेंबर टेक्सटाइल ट्रेड एंड इंडस्ट्री (कोट्टी) ने कहा कि कोरोना काल में कपड़ा उद्योग की स्थिति चरमरा गई है। कारोबारियों की स्थिति डगमगा रही है। कारोबार में भारी गिरावट आई है। अभी कहना मुश्किल है कि कब यह उद्योग पटरी पर लौटेगा। जब तक कोरोना वायरस पर काबू नहीं पाया जाता तब तक हालात में सुधार की संभावना नजर नहीं आ रही है।

पूर्वी भारत का वितरण केंद्र

-कोलकाता का टेक्सटाइल हब एक तरह से पूर्वी भारत का वितरण केंद्र है। यहां मुम्बई, भीलवाड़ा, सूरत, पाली, कोयंबटूर से कपड़े वगैरह आते हैं तथा फिर यहां से बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों, पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश में कपड़े का कारोबार होता है। 

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