महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस साल नहीं होगी। इस साल पुरी रथयात्रा को स्थगित रखने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने निर्देश दिया है। महामारी कोरोना के कारण इस साल रथयात्रा होगी या नहीं उस पर अनिश्चितता लगी हुई थी, जिस पर आज सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई कर यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता में बैठी तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। लोगों की सुरक्षा एवं जनहित के लिए रथयात्रा को बंद करने की बात न्यायाधीश ने कही है। सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा है कि यदि सुप्रीमकोर्ट रथयात्रा करने की अनुमति देती है तो फिर भगवान जगन्नाथ हमें क्षमा नहीं करेंगे। केवल पुरी नहीं, बल्कि इस साल पूरे ओडिशा में किसी भी जगह पर रथयात्रा नहीं होगी।
ओडिशा में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पुरी में भी संक्रमित मरीजों की संख्या अधिक है। ऐसी स्थिति में रथयात्रा होने पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन होगा और संक्रमण बढ़ेगा। संक्रमण बेकाबू होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट ने इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए इस साल रथयात्रा को स्थगित कर दिया है।
मामले की सुनवाई के समय केन्द्र सरकार की तरफ से लड़ रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि सुप्रीमकोर्ट पुरी मंदिर में कुछ धार्मिक कार्यक्रम के लिए अनुमति दें, बिना भक्तों के विभिन्न रीति-रिवाज संस्कार संपन्न की जा सकती है। ओडिशा की तरफ से वरिष्ठ वकील हरिश सालवे ने पक्ष रखते हुए कहा कि जब भी कोई पर्व होगा, लोग निश्चित रूप से एकत्र होंगे। लोगों को रोक पाना संभव नहीं है। जस्टिस बोबडे ने वकील साल्वे की बात को मानते हुए कहा कि हम पहले से देखते आ रहे हैं कि जब किसी भी कार्यक्रम को अनुमति दी जाती है, कार्यक्रम में लोगों की भीड़ होती है। ऐसे में कोरोना महामारी के बीच पुरी रथयात्रा करने को हम अनुमति नहीं दे पाएंगे। लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने रथयात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि इस साल रथयात्रा स्थगित करने के लिए ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीमकोर्ट में एक पिटीशन दायर किया था। परिषद की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख रहे थे। यहां उल्लेखनीय है कि 23 जून को महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा होनी थी। इसके लिए सभी प्रकार की परंपरा अंतिम चरण में पहुंच गई है। महाप्रभु का रथ निर्माण का कार्य भी अंतिम चरण पहुंच गया है।
प्रतिवर्ष धूमधाम से होता है यात्रा का आयोजन
पुरी में प्रतिवर्ष धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को तीन अलग-अलग रथों में विराजित कर शोभा यात्रा निकाली जाती है।इस विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का उत्सव आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान जगन्नाथ को रथ पर विराजमान करके पूरे नगर में भ्रमण करवाया जाता है। ये रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर तक जाती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा वर्षों से चली आ रही है।
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