बस मालिक संगठनों में नाराजगी, ज्यादा समय तक नुकसान उठाकर बसें चलाना संभव नहीं


नया किराया तय करने में हो रही देरी से बस मालिक संगठनों में नाराजगी है। राज्य सरकार की तरफ से गठित की गई नियामक कमेटी ने अब तक अपनी सिफारिशें दाखिल नहीं की हैं।  पहले इसी सप्ताह सिफारिशें दाखिल होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन शनिवार तक ऐसा नहीं देखने को मिला। अब अगले सप्ताह से पहले कुछ होना संभव नहीं है।

ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन कुमार बनर्जी ने कहा-'ज्यादा समय तक नुकसान उठाकर बसें चलाना संभव नहीं है क्योंकि बसें पानी से नहीं बल्कि तेल से चलती हैं। किराया बढ़ाने पर जल्द से जल्द फैसला लेना होगा।' गौरतलब है कि बस मालिक संगठनों के अनुरोध पर ही सरकार की तरफ से नियामक कमेटी का गठन किया गया है। गौरतलब है कि कोलकाता में अभी 40 से 45 फीसद बसें ही चल रही हैं जबकि मिनी बसों की तादाद 250 से 300 तक है।

24 और रूटों पर 156 सरकारी बसें चलाने का निर्णय   

इस बीच निजी बसों की कम संख्या से लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम ने 24 और रूटों पर 156 सरकारी बसें चलाने का निर्णय किया है। ये बसें कोलकाता से उपनगरों के लिए चलेंगी, जिनमें उत्तरपाड़ा-एस्प्लानेड, श्रीरामपुर-करुणामयी, चुंचुड़ा-एस्प्लानेड, बैरकपुर-एस्प्लानेड इत्यादि रूट शामिल हैं । लोकल ट्रेनें शुरू नहीं होने के कारण उपनगरों से लोगों को कोलकाता आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।

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