बीते मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहत पैकेज के बारे में जानकारी दे रही हैं. गुरुवार को निर्मला सीतारमण ने किसानों, प्रवासी मजदूरों और मिडिल क्लास इनकम वाले लोगों के लिए कुछ राहत के ऐलान किए.
हालांकि, इस राहत में कई पेच और सवाल भी हैं. दरअसल, कोरोना संकट काल में लोगों को तत्काल राहत की उम्मीद है लेकिन गुरुवार को किए गए ऐलान इस उम्मीद को पूरा नहीं करते हैं. आइए 7 प्वाइंट में समझते हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान और उसकी हकीकत के बारे में..
1. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कृषि में मार्च से अप्रैल के बीच में 86000 करोड़ रुपये के 63 लाख लोन मंजूर हुए.
हकीकत : सरकार ने वित्त वर्ष 2021 में कृषि लोन के लिए 15 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. महीने के हिसाब से देखें तो हर माह 1.2 लाख करोड़ रुपये के लोन का वितरण होना चाहिए था. वहीं 2 महीने में यह 2.4 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए. लेकिन सिर्फ 86 हजार करोड़ के ही लोन बांटे गए. ये एक बड़ा अंतर है.
इसी तरह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि NABARD के जरिए किसानों को 30,000 करोड़ की अतिरिक्त फंड की मदद दी जा रही है. लेकिन सवाल है कि जब किसान पहले से ही आवंटित लोन से कम लाभ उठा रहे हैं, तो यह कितना प्रभावी होगा.
2. वित्त मंत्री ने बताया कि न्यूनतम मजदूरी का अधिकार सभी मजदूरों को देने की तैयारी है. इसी तरह न्यूनतम मजदूरी में क्षेत्रीय असमानता खत्म करने की योजना है. सभी मजदूरों के लिए सालाना हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य करने की योजना है. अनिवार्य नियुक्ति पत्र को भी जरूरी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिकों को परिभाषित किया जाएगा ताकि बेहतर इंसेंटिव मिल सके. ESIC के लाभों पर भी विचार किया जा रहा है.
हकीकत : इस प्रस्ताव का बड़ा हिस्सा संसद को मंजूर करना है, जिसमें लंबा वक्त लग सकता है.
3. राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल ( SDRF) के जरिए शहरी गरीबों को 11,000 करोड़ रुपये की मदद की गई है.
हकीकत: यह रकम SDRF फंड में पहले से मौजूद है. संभवत: इसके लिए केंद्र सरकार ने कोई नया आवंटन नहीं किया है.
4. वित्त मंत्री ने बताया कि आवास योजना से जुड़ी क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. इससे आवास क्षेत्र को 70,000 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद.
हकीकत: पहली बात ये कोई नई या फौरी राहत नहीं है. पहले से चल रही स्कीम को ही 1 साल के लिए बढ़ा दिया गया है. कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों में घर खरीदारी के प्रति दिलचस्पी बढ़ेगी, ये भी देखना अहम है. बता दें कि सरकार ने ये योजना मिडिल क्लास इनकम वाले लोगों के लिए साल 2017 में शुरू की थी. इसका मकसद होम लोन के लिए प्रोत्साहन देना था, ताकि लोग घर खरीद सकें. पहले सरकार ने स्कीम के तहत सब्सिडी लेने वालों के लिए 31 मार्च 2020 की डेडलाइन तय की थी. अब इसे मार्च 2021 कर दिया गया है.
5. सरकार ने छोटे कारोबार को फिर से खड़ा करने के लिए या फिर नया कारोबार शुरू करने के लिए शिशु लोन की ब्याज दर पर 2 फीसदी छूट देने का ऐलान किया है. शिशु लोन स्कीम मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मुद्रा योजना का हिस्सा है. शिशु लोन के तहत 50 हजार रुपये तक का कर्ज मिलता है.
हकीकत : इसे सिर्फ एक साल के लिए बढ़ाया गया है. इस कैटेगरी के लोन पर सबसे अधिक एनपीए (फंसा हुआ कर्ज) है. इसे सरकार को वहन करना है.
6. केंद्र सरकार 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स (रेहड़ी-पटरी कारोबारियों) को कोरोना संकट से राहत देने के लिए 10 हजार रुपये तक का विशेष लोन देगी. इसके लिए सरकार 5 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी.
हकीकत : कोरोना काल में स्ट्रीट वेंडर्स का भविष्य अधर में है. क्या वे बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से लोन का लाभ उठा सकते हैं या नहीं, ये देखना अहम है. लोन पर गारंटी, ब्याज, पेमेंट के तरीके को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
7. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक 2.5 करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड पर 2 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज मिलेगा.
हकीकत : किसान क्रेडिट कार्ड पर किसानों को चार फीसदी की ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का लोन मिलता है. सरकार का इरादा मत्स्य और पशुपालन सहित 2.5 नए किसानों को जोड़ने का है. कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन है. ये पैसे कहां से आएंगे, सरकार ने स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है. संभवतः ये पहले से ही किसानों के लिए 15 लाख करोड़ के कृषि आवंटन का हिस्सा है.
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