किराये पर कन्फ्यूजन जारी, मजदूरों ने कहा- पैसा लिया लेकिन केंद्र कर रहा मना


लॉकडाउन 3.0 की शुरुआत प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के साथ हुई. लंबे समय से की जा रही मांग को जब माना गया तो अपने घर से दूर फंसे लाखों मजदूरों को वापस जाना नसीब हुआ. लेकिन इस बीच किराये को लेकर बड़ा कन्फ्यूज़न पैदा हुआ, विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुश्किल संकट में केंद्र सरकार मजदूरों से पैसा वसूल रही है तो सरकार ने कहा कि वह किसी से कोई पैसा नहीं ले रही है. लेकिन मजदूरों ने कुछ और ही सच्चाई बयान की.

कांग्रेस ने क्या लगाया है आरोप?

कांग्रेस की ओर से प्रवासी मजदूरों के मसले पर आक्रामक रुख अपनाया गया और सरकार पर आरोप लगाया गया कि केंद्र मजदूरों की घर वापसी के लिए ट्रेन टिकट का पैसा वसूल रहा है. कई राज्य सरकारों ने भी इसका विरोध किया.

तमाम शोरगुल के बीच सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया कि प्रवासी मजदूरों की टिकट वापसी का खर्च कांग्रेस पार्टी उठाएगी, उन्होंने इसके लिए प्रदेश इकाइयों को निर्देश भी जारी कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस का सरकार पर हमला करना और भी आक्रामक हुआ.

सरकार और बीजेपी ने किया पलटवार

कांग्रेस के द्वारा लगातार लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज मैदान में उतरे. कई प्रवक्ताओं ने कांग्रेस के दावे को झूठा करार दिया तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कांग्रेस पर ही आरोप मढ़ दिया.

प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा, ‘मजदूरों से रेल किराये की सच्चाई - सभी राज्य सरकारें मजदूरों के रेल के किराये का पैसा भर रही हैं. केवल महाराष्ट्र, 
केरल और राजस्थान सरकारें नहीं दे रहीं. वह किराया मजदूरों से ले रही हैं. बाकि सरकारें स्वयं दे रही हैं यह तीन राज्य की महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान की सरकार मजदूरों से किराया ले रही हैं. इन राज्यों में सरकार शिवसेना गठबंधन, कम्युनिस्ट और कांग्रेस की है, यही चिल्ला रहे हैं. इसे कहते है 'उल्टा चोर कोतवाल को डाटें '

सरकार की ओर से सफाई दी गई कि मजदूरों से एक पैसा भी नहीं लिया जाएगा, यात्रा का पूरा खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएगी. इनमें 85 फीसदी खर्चा केंद्र उठाएगा और बाकी 15 फीसदी का खर्च राज्य सरकारों को उठाना होगा.

क्या कहते हैं घर लौटते मजदूर?

कांग्रेस और भाजपा के राजनीतिक बयानों से इतर मजदूरों को लगातार मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं. सोमवार को गुजरात से उत्तर प्रदेश लौटे मजदूरों ने आजतक से बातचीत में कहा कि वो किराये का पूरा पैसा भरकर घर वापस आए हैं. जो केंद्र सरकार के दावे से बिल्कुल उलट है.

गुजरात से लखनऊ पहुंचे एक मजदूर ओमप्रकाश ने आजतक से कहा कि मैं वडोदरा से आ रहा हूं, वहां दिसंबर में काम करने के लिए गया था. जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो उसके दो-तीन दिन बाद हम लोग वहां से चल दिए थे. वहां खाने-पीने की दिक्कत थी, लेकिन पुलिसवालों ने पकड़ लिया और क्वारनटीन के लिए भेज दिया.

उन्होंने बताया कि वहां पर हम लोगों की जांच भी हुई. हम लोगों को 35 दिन रखा गया था. हम लोगों ने टिकट (लखनऊ आने का) भी लिया है 555 रुपए का. सिर्फ ओम प्रकाश ही नहीं बल्कि कई मजदूरों ने दावा किया कि वो पूरा पैसा भरकर ही घर वापस आए हैं.

वहीं, मुंबई से मजदूरों को लेकर सिद्धार्थनगर पुहंची ट्रेन में भी केंद्र के दावे पूरी तरह से गलत साबित हुए. यहां मजदूरों ने बयान दिया कि उन्होंने किराये का पूरा पैसा दिया है.

वडोदरा से वापस लखनऊ आए मजदूर श्याम ने बताया कि वह वडोदरा में फेब्रिकेशन का काम करते हैं, जब लॉकडाउन हुआ तो वह वापस आने लगे. लेकिन पुलिस ने उन्हें क्वारनटीन में भेज दिया. अब हम वापस आए हैं तो किराये का 500 रुपया लिया गया है. वो लखनऊ से जौनपुर जाएंगे.

श्याम के साथ ही काम करने वाले तिलक धारी ने भी यही दर्द बयान किया कि उनसे 500 रुपये किराया लिया गया, लेकिन खाने-पीने का सामान भी मिला.


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