श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक बुधवार को दिल्ली में हुई. इस बैठक के बाद ही मतभेद के स्वर उठने लगे हैं. दिगंबर अखाड़ा के प्रमुख सुरेश दास ने कहा कि इस ट्रस्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरक्षनाथ पीठ दोनों को ही नजरअंदाज किया गया है.
उन्होंने कहा कि दिगंबर अखाड़े की भूमिका मंदिर आंदोलन में सबसे प्रमुख रही है. गोरखपुर का गोरक्षनाथ पीठ और उनके महंत की अहम भूमिका रही है, लेकिन इन सबको को अनदेखा किया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि सीएम योगी आदित्यनाथ को भी इससे अलग रखा गया.
सुरेश दास ने कहा, 'दिगंबर अखाड़ा भिखमंगा नहीं, जिसे कुछ इस ट्रस्ट चाहिए.' सुरेश दास ने अध्यक्ष बनाए जाने पर नृत्यगोपाल दास को शुभकामनाएं दीं, लेकिन अपनी नाराजगी भी खुलकर जाहिर कर दी. ऐसे में अब देखना होगा कि उनके बयान को ट्रस्ट के पदाधिकारी कैसे लेते हैं.
बता दें कि बुधवार को दिल्ली में हुई ट्रस्ट की बैठक में महंत नृत्यगोपाल दास को अध्यक्ष चुना गया, जबकि VHP नेता चंपत राय महामंत्री बनाए गए. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए, जबकि कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी गोविंद गिरी को मिली. इस बैठक में 9 प्रस्ताव पारित किए गए.
हनुमानगढ़ी के महंत को नहीं मिली एंट्री
वैष्णव वैरागी अखाड़ों की निर्वाणी अणी के महंत और अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास भी ट्रस्ट की बैठक के दौरान पहुंच गए. लेकिन उन्हें बैठक में शामिल नहीं किया गया. उन्हें बैठक कक्ष के बाहर ही एक अन्य कमरे में बैठा दिया गया. महंत धर्मदास काफी समय से ट्रस्ट में शामिल होने की मांग कर रहे थे. वो पुजारी बनना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने ट्रस्ट में शामिल न करने और रामलला की सेवा पूजा का अधिकार न देने की सूरत में अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.