सभी नवजात शिशुओं को मां का दूध मिल सके इसके लिए विशेष बैंक खोले जा रहे हैं, जहां मां का दूध उपलब्ध हो. केंद्र सरकार इस तरह के बैंक बनाने के लिए पैसा और अन्य सुविधाएं मुहैया करवा रही है. शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी मांग के मुताबिक दूध बैंक बनाने के लिए केंद्र सरकार आर्थिक मदद दे रही है.
इस दूध बैंक को बनाने का मकसद ऐसे बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराना है, जिनकी मां उनको किसी शारीरिक अक्षमता के चलते स्तनपान नहीं करा पाती हैं. कई मामलों में प्रसव के बाद महिलाओं को दूध नहीं आता है और अगर आता भी है, तो बेहद कम. ऐसी स्थिति में नवजात शिशु स्तनपान से वंचित रह जाता है.
इसके अतिरिक्त जन्म के समय मां की मृत्यु होने पर भी ये दूध बैंक नवजात शिशुओं के लिए बहुत उपयोगी साबित होते हैं. कई बार यह भी देखा जाता है कि गंभीर बीमारी के चलते भी मां अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती है.
मां का दूध उपलब्ध कराने वाले ये बैंक, ब्लड बैंक की तरह काम कर रहे हैं. इन दूध बैंकों में महिलाएं अपना दूध उन वंचित बच्चों के भरण पोषण के लिए दान कर सकती हैं. वैज्ञानिक प्रक्रिया को अपना कर इस दूध को काफी समय तक सुरक्षित रखा जाता है. फिलहाल ऐसे बैंकों की उपलब्धता राज्य और क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर पर निर्भर है.
साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में सबसे ज्यादा 13 दूध बैंक बनाए गए हैं, जबकि महाराष्ट्र में 12, तमिलनाडु में 10 दूध बैंक हैं. इन राज्यों के बाद इस लिस्ट में चेन्नई का नाम आता है. अमारा नाम के ह्यूमन मिल्क बैंक ने ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन के साथ मिलकर दिल्ली-एनसीआर में इसकी सेवाएं शुरू की हैं.