क्या NRC के मुद्दे पर पीछे हट रही है सरकार? PM मोदी के भाषण से मिले संकेत


नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को देश भर में लागू करने के इरादे को फिलहाल नरेंद्र मोदी सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रामलीला मैदान में 'आभार रैली' में एनआरसी पर जितनी भी बातें रखी हैं, उससे संकेत मिलता है कि मोदी सरकार ने एनआरसी के मुद्दे पर फिलहाल कदम पीछे खींच लिए हैं.

बीजेपी ने अपने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में जिस एनआरसी को देश भर में लागू करने का वादा किया था. बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह सहित पार्टी और सरकार के हर बड़े चेहरे ने इसका जिक्र किया है, उस पर पीएम मोदी ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान के अपने भाषण में सफाई देते हुए कहा कि साल 2014 से ही एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है. कोई बात नहीं हुई है. पीएम मोदी ने यह भाषण दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को पक्का करने के बाद धन्यवाद रैली में दिया.

पीएम ने कहा, 'एनआरसी पर झूठ चलाया जा रहा है. ये कांग्रेस के जमाने में बनाया था, तब सोए थे क्या? हमने तो बनाया नहीं? संसद में आया नहीं? न कैबिनेट में आया है? न उसके कोई नियम कायदे बने हैं? हौआ खड़ा किया जा रहा है? और मैंने पहले ही बताया इसी सत्र में आपको जमीन और घर का अधिकार दे रहे हैं, कोई धर्म-जाति नहीं पूछते हैं. ऐसे में हम कोई दूसरा कानून आपको निकाल देने के लिए करेंगे क्या? बच्चों जैसी बातें करते हो.'

कांग्रेस पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस चीख-चीख कर कह रही है कि कौआ कान काटकर उड़ गया और लोग कौए को देखने लगे. पहले अपना कान तो देख लीजिए कि कौए ने कान काटा कि नहीं? पहले यह तो देख लीजिए एनआरसी के ऊपर कुछ हुआ भी है क्या? झूठ चलाए जा रहे हो. मेरी सरकार आने के बाद साल 2014 से ही एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है. कोई बात नहीं हुई है. सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के कहने पर यह असम के लिए करना पड़ा. क्या बातें कर रहे हो?

दरअसल नागरिकता संशोधन कानून पर देश भर में जिस तरह से प्रदर्शन हो रहे हैं, कांग्रेस सहित विपक्ष के तमाम दल लगातर सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इतना ही नहीं नागरिकता कानून पर मोदी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाले राजनीतिक दलों ने भी एनआरसी पर अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी साफ किया है कि वो अपने-अपने राज्य में एनआरसी को लागू नहीं करेंगे.

दरअसल मोदी सरकार को एनआरसी से पहले एनपीआर यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर काम करना है, CAA पर भले ही पीएम मोदी ने विरोधी मुख्यमंत्रियों को संविधान की शपथ याद दिलाई हो लेकिन एनपीआर जैसे काम बिना राज्य सरकारों के सहयोग के संभव नहीं हो पाएंगे, क्योंकि 2021 में जनगणना होनी है. जनगणना और एनपीआर को तैयार करने में राज्य सरकार के संसाधनों की अवश्यकता है. ऐसे में राज्य सरकारों का एनआरसी पर लगातार विरोध उनके और केंद्र सरकार के बीच खाई को चौड़ा करने का काम कर रहा है.

नीतीश कुमार की जेडीयू और अकाली दल जैसे एनडीए के घटक दल इसे लेकर आंखे तरेर रहे हैं. इसी को देखते हुए मोदी सरकार का इन संवेदनशील मुद्दों पर तेजी से आगे बढ़ना आसान नहीं है. इसीलिए मोदी सरकार अपने कदम पीछे खींच रही है. हालांकि बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में एनआरसी को लागू करने का वादा किया था. इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश करते हुए कहा था कि एनआरसी लाएंगे. यही नहीं, अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में कहा था, 'आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि 2024 के चुनावों से पहले देशभर में एनआरसी बनाया जाएगा और हर घुसपैठिये की पहचान कर उसे निष्कासित किया जाएगा.'

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