पश्चिम बंगाल में सात नवंबर से गुटखा के उत्पादन व बिक्री पर एक साल के लिए प्रतिबंध


बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड के बाद अब बंगाल सरकार ने भी गुटखा और तंबाकू या निकोटिन वाले पान मसाला के उत्पादन और बिक्री पर सात नवंबर गुरुवार से एक साल के लिए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा हाल में जारी अधिसूचना के मुताबिक खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गुटखा और पान मसाला के उत्पादन, भंडारण, वितरण, ढुलाई और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध होगा. बिहार, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में तंबाकू, निकोटीन, मैग्नेशियम काबरेनेट और मिनरल ऑयल वाले पान मसाला पर पहले से प्रतिबंध है.

इससे पूर्व, बंगाल के पड़ोसी राज्य बिहार ने भी इस साल अगस्त में गुटखा और पान मसाला की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. नीतीश कुमार सरकार ने सत्ता में आने पर बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की थी.

वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण दो (जीएटीएस 2) के मुताबिक बंगाल में 20 प्रतिशत से अधिक आबादी धुआं रहित तंबाकू का इस्तेमाल करती है. इसमें 82.8 प्रतिशत पुरूष और 17.2 प्रतिशत महिलाएं हैं. परंतु, यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर सरकार इस पर रोक कैसे लगाएगी.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने पर होने वाले दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने हेतु यह कदम उठाया है. यह पाया गया कि न केवल वयस्क बल्कि नाबालिग भी गुटखा और पान मसाले का सेवन कर रहे थे. इससे पहले, पश्चिम बंगाल सरकार ने मई 2013 में एक साल के लिए इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था.

पश्चिम बंगाल सरकार के आदेश के अनुसार, राज्य में गुटखा और पान मसाले के उत्पादन, भंडारण, वितरण, परिवहन, प्रदर्शन और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया.

जब राजस्थान सरकार ने तंबाकू मिश्रित गुटखा और ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया, तो पान मसाला कंपनियों ने उस प्रतिबंध के बाद तंबाकू और पान मसाला दोनों अलग-अलग बेचना शुरू कर दिया.

राज्य सरकार का मानना है कि गुटखा और तम्बाकू के सेवन से बड़ी संख्या में लोग कैंसर और इसी तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं।यह कार्रवाई ऐसे उत्पादों के प्रतिकूल प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद करेगी.

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