वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को आइएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम से जमानत की मांग की. चिदंबरम ने कहा कि सीबीआइ उन्हें अपमानित करने के लिए हिरासत में रखना चाहती है.
आइएनएक्स मीडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट से मांगी जमानत
चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि पूर्व वित्त मंत्री या उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ इस बात का कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने कभी भी मामले के किसी गवाह से संपर्क किया या उसे प्रभावित करने की कोशिश की. इसके अलावा उनके खिलाफ वित्तीय नुकसान या धन की हेराफेरी का भी कोई आरोप नहीं है.
हाई कोर्ट ने
उन्होंने हाई कोर्ट के निष्कर्षो पर भी सवाल उठाया जिसने 30 सितंबर को चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दोनों वकीलों ने कहा कि हाई कोर्ट को जमानत याचिका पर फैसला करते समय मामले की मेरिट्स का जिक्र नहीं करना चाहिए था.
शीर्ष अदालत आज सुनेगी सीबीआइ की दलीलें
शीर्ष अदालत बुधवार को सीबीआइ का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनेगी. इससे पहले सीबीआइ ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा कि चिदंबरम को जमानत देना न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ होगा, बल्कि भ्रष्टाचार के सभी मामलों में बहुत गलत उदाहरण स्थापित करेगा.
चिदंबरम के खिलाफ ठोस सुबूत हैं
हलफनामे के मुताबिक, 'अपराध की प्रकृति और याचिकाकर्ता ने जिस बेशर्मी से देश के वित्त मंत्री कार्यालय का निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया, वे उन्हें जमानत के अयोग्य बनाता है.' जांच एजेंसी ने दावा किया कि इस मामले में चिदंबरम के खिलाफ ठोस सुबूत हैं और उनके खिलाफ मजबूत केस बनाया गया है.