मुफ्त के 40 लाख खाते में आए, घर खरीदा-बेटी की शादी कराई और अब पहुंचे जेल


अगर आपके बैंक खाते में किसी की गलती की वजह से पैसे आ गए हैं, तो आप उसको वापस कर दीजिए. वरना आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है. भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 403 और 120B के तहत ऐसा करना जुर्म है. ऐसा ही एक मामले में तमिलनाडु के तिरुपुर में एक दंपति को तीन साल की जेल की सजा मिली है.

दरअसल, साल 2012 में गुनासकरण और उनकी पत्नी राधा के खाते में 40 लाख रुपये आ गए थे, तो उन्होंने न ही यह पता लगाने की कोशिश की कि उनके खाते में पैसे कैसे आए और न ही इस पैसे को लौटाने के लिए कोई कदम उठाया. उन्होंने इस पैसे को खाते से निकाला और खर्च कर डाला. उन्होंने इस पैसे से घर खरीदा और बेटी की शादी में खर्च कर डाले. हालांकि कानून के लंबे हाथ से वो बच नहीं पाए और अब सात साल बाद उनको तीन साल जेल की सजा मिली है. तिरुपुर की निचली अदालत ने दोनों को तीन साल जेल की सजा सुनाई है.

दरअसल, यह पैसे सांसद स्थानीय एरिया डेवलपमेंट स्कीम और विधायक स्थानीय एरिया डेवलपमेंट स्कीम के तहत सिविल वर्क के लिए जारी किए गए थे. ये पैसे पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के खाते में जाने थे, लेकिन गलती से गुनासकरण के खाते में चले गए. इसके बाद गुनासकरण चुपचाप रहे और इसकी जानकारी किसी को नहीं दी. उन्होंने यह भी पता लगाने की कोशिश भी नहीं की कि आखिर उनके खाते में 40 लाख रुपये कैसे आए.

8 महीने बाद खुला राज

कोर्ट में दायर केस के मुताबिक गुनासकरण का तिरुपुर स्थित कॉरपोरेशन बैंक में बचत खाता है. इसी बैंक में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का भी खाता है. 40 लाख रुपये गलती से एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के खाते की बजाए गुनासकरण के खाते में चले गए. दिलचस्प बात यह है कि इसकी जानकारी पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट को 8 महीने तक नहीं चली कि पैसा किसी दूसरे के खाते में चला गया है.

जब पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट को 40 लाख रुपये खाते में नहीं आने का अंदेशा हुआ, तो उन्होंने बैंक अधिकारियों से बात की. इसके बाद उन्होंने बताया कि पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट ने जिस खाते में पैसा ट्रांसफर करने को कहा था, उसी खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया गया है.

इसके बाद जब गौर से चेक किया गया, तो पता चला कि 40 लाख रुपये गुनासकरण के खाते में चले गए थे. इतना ही नहीं, जब तक यह मामला सामने आया, तब तक गुनासकरण पूरे पैसे को खाते से निकाल चुके थे और खर्च करने में जुटे थे. इसके बाद बैंक के सीनियर अधिकारियों ने गुनासकरण को पैसे वापस करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने पैसा नहीं जमा किया.

आईपीसी के तहत सुनाई गई सजा

इसके बाद बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर नरसिम्हा गिरी ने गुनासकरण के खिलाफ तिरुपुर सिटी के सेंट्रल क्राइम ब्रांच पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इस मामले में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 403 और 120B के तहत गुनासकरण के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

अब तिरुपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वीतीय के जज डी थिरुवुक्करासु ने मामले में गुनासकरण और उनकी पत्नी को तीन साल जेल की सजा सुनाई है. इसके बाद उनको गिरफ्तार करके कोयंबटूर सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

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