पाकिस्तान में बिजनस और जमीनें खरीदने में जुटी हैं चीनी कंपनियां, पढ़ें क्या है वजह


कराची : बीते कुछ महीनों में पाकिस्तान के साथ हुई बड़ी डील्स के चलते चीनी कंपनियां अब वहां बड़े पैमाने पर कारोबार का विस्तार करने और जमीन खरीदने में जुटी हैं। चीन ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ ट्रेड रूट विकसित करने के लिए 57 अरब डॉलर यानी करीब 3 लाख 80 हजार करोड़ रुपये की डील की है। इसके बाद से ही चीनी कंपनियां बड़े पैमाने पर पाकिस्तान में निवेश को लेकर उत्सुक हैं। पाकिस्तान की कई दिग्गज कंपनियों के एग्जिक्यूटिव्स ने रॉयटर्स को बताया कि चीनी कंपनियां मुख्य तौर पर सीमेंट, स्टील, एनर्जी और टेक्सटाइल सेक्टर्स में निवेश करने को उत्सुक हैं। इन सेक्टरों को 270 अरब डॉलर की पाकिस्तानी इकॉनमी की रीढ़ माना जाता है।

विश्लेषकों का कहना है कि चीनी कंपनियां अपनी सरकार के 'वन रोड, वन बेल्ट प्रॉजेक्ट' के तहत निवेश कर रही हैं। चीन के ग्लोबल नेटवर्क तैयार करने की इस योजना का पाकिस्तान बेहद अहम हिस्सा है। मौजूदा दौर मे चीन की घरेलू इकॉनमी कमजोर पड़ी है, जिसके चलते उसने विदेशी निवेश बढ़ाने की कोशिशें तेज की हैं। हाल ही में एक चीनी के नेतृत्व वाले कंसर्टियम ने पाकिस्तान के स्टॉक एक्सचेंज में बड़ा हिस्सा लिया है। इसके अलावा शंघाई इलेक्ट्रिक पावर ने 1.8 अरब डॉलर में पाकिस्तान की सबसे बड़ी एनर्जी फर्म K-इलेक्ट्रिक का अधिग्रहण किया है।

सीमेंट से लेकर केमिकल्स तक का कारोबार करने वाले युनूस ब्रदर्स ग्रुप के चीफ एग्जिक्यूटिव मुहम्मद अली तब्बा ने कहा, 'चीनी कंपनियों के पास काफी पूंजी है और वे पाकिस्तान में बड़े निवेश की ओर देख रही हैं।' तब्बा ने कहा कि युनूस ब्रदर्स ने एक चीनी कंपनी के साथ मिलकर के-इलेक्ट्रिक का अधिग्रहण करने की कोशिश की थी, लेकिन असफलता हाथ लगी। अब यह समूह करीब 2 अरब डॉलर का एक अन्य जॉइंट वेंचर खड़ा करने की तैयारी मे है।
कुछ दिनों तक पाकिस्तान के प्राइवेटाइजेशन मिनिस्टर रहे मोहम्मद जुबैर ने बताया कि चीन की दिग्गज स्टील कंपनी बाओस्टील ग्रुप की ओर से पाकिस्तान की सरकारी स्टील कंपनी स्टील मिल्स को 30 सालों के लिए लीज पर लेने की बात चल रही है। हालांकि बाओस्टील ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। पाकिस्तान में चीन सरकार और कंपनियों की ओर से बड़े पैमाने पर निवेश किया जाना पश्चिमी देशों के एकदम उलट है, जो पाक में इन्वेस्टमेंट को लेकर उदासीन रहे हैं।

पाकिस्तान में चीन के बड़े निवेश की औद्योगिक जगत ने भी सराहना की है। हालांकि पाकिस्तान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में काफी पिछड़ता दिख रहा है। वित्त वर्ष 2007-08 में पाकिस्तान में 5.4 अरब डॉलर का एफडीआई आया था, जबकि 2015-16 में यह घटकर महज 1.9 अरब डॉलर ही रह गया।

भारत के लिए यह है चिंता का सबब
चीनी कंपनियां दोनों देशों के बीच बन रहे आर्थिक गलियारे को लेकर बड़ा निवेश कर रही हैं। भारत के लिहाज से भी यह रणनीतिक, व्यापारिक और सामरिक दृष्टि से चिंताजनक है क्योंकि यह कॉरिडोर पीओके से होकर गुजरता है। इस कॉरिडोर के जरिए चीन का पश्चिमी हिस्सा रेल, रोड और पाइपलाइन प्रॉजेक्ट्स के जरिए पाकिस्तान के अरब सागर स्थित ग्वादर पोर्ट से जुड़ जाएगा। इस परियोजना को चीन की ओर से दिए गए लोन से पूरा किया जा रहा है। यही नहीं ज्यादातर प्रॉजेक्टस भी चीनी कंपनियों के ही हाथ में हैं।

चीन कंपनियों के लिए बनेंगे स्पेशल इकॉनमिक जोन
चीन-पाक आर्थिक गलियारे के दूसरे चरण को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। इसके तहत चीनी सरकारी कंपनियों के जरिए पाकिस्तान की इंडस्ट्री का विकास किया जाएगा। पाकिस्तानी अधिकारी चीनी कंपनियों के लिए स्पेशल इकॉनमिक जोन्स बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने में जुटे हैं। इनके तहत चीनी कंपनियों को टैक्स में छूट और अन्य फायदे दिए जाएंगे। हालांकि इन स्पेशल जोन्स की स्थापना से पहले ही चीनी कंपनियां पाकिस्तान में बड़े जमीन सौदे करने में जुटी हैं।


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