गोरखालैंड वार्ता के लिए मध्यस्थ नियुक्ति पर बंगाल में सियासी घमासान


कोलकाता: केंद्र सरकार द्वारा गोरखालैंड मुद्दे पर स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक पंकज कुमार सिंह को वार्ताकार नियुक्त किए जाने के फैसले पर पश्चिम बंगाल में सियासी विवाद छिड़ गया है।

प्रस्तावित गोरखालैंड राज्य में दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, कर्सियांग के साथ उत्तर बंगाल के तराई और डुआर्स के कुछ हिस्से शामिल करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। स्थायी राजनीतिक समाधान के तहत उत्तर बंगाल की 11 पहाड़ी जनजातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किए जाने की भी मांग है।

इस निर्णय का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और दो पहाड़ी दलों - बिमल गुरंग की गोरखा जनमुक्ति मोर्चा तथा गोर्खा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष मान घीसिंग ने स्वागत किया है। दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने इस मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए वार्ताकार नियुक्त किया है। इससे सरकार की गंभीरता का पता चलता है और यह कदम पहाड़ों में शांति बहाली की दिशा में सहायक होगा।”

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरंग ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “पहाड़ों के लोगों ने लंबे समय से केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की थी। वार्ताकार की नियुक्ति उस दिशा में पहला कदम है।” गोर्खा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष मान घीसिंग ने केंद्र को धन्यवाद देते हुए कहा कि “यह स्थायी राजनीतिक समाधान की दिशा में सही पहल है।”

हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसके सहयोगी दल भारतीय गोर्खा प्रजातांत्रिक मोर्चा - जो फिलहाल गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन चला रहा है, ने केंद्र के इस कदम को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले की राजनीतिक चाल करार दिया है।

भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा के संस्थापक और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनित थापा ने कहा, “केंद्र को बहुत पहले वार्ताकार नियुक्त करना चाहिए था। इस निर्णय का समय यह दर्शाता है कि यह कदम केवल दिखावा है। पहले जब हमने बार-बार वार्ता की मांग की थी, तब इसे नजरअंदाज कर दिया गया।”

तृणमूल कांग्रेस नेता और सिलीगुड़ी नगर निगम के महापौर गौतम देव ने कहा, पहाड़ के लोग विकास चाहते हैं, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य सरकार सुनिश्चित कर रही है। केंद्र की यह घोषणा केवल चुनावी दिखावा है और इससे पहाड़ों के लोगों को कोई लाभ नहीं होगा।

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