रामनगरी अयोध्या दियों की रोशनी से जगमग हो उठी है, सरयू के तट से लेकर अयोध्या का हर कोना जगमगा रहा है. इससे पहले अयोध्या में दीपोत्सव के भव्य आयोजन के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम के राज्याभिषेक समारोह में रथ खींचा, आरती उतारी और भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व गुरु वशिष्ठ का तिलक किया. रामकथा पार्क जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा, जबकि पुष्पक विमान रूपी हेलीकॉप्टर से पहुंचे राम-सीता-लक्ष्मण और हनुमान के स्वरूपों ने पूरे माहौल को आध्यात्मिक आभा से भर दिया. इस दौरान प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जयवीर सिंह, राकेश सचान व सतीश शर्मा ने भी आरती उतारी.
दिव्य दीपों की आभा में नहाई रामनगरी अयोध्या इस बार की दिवाली पर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही है. रामनगरी की हर गली, हर घाट, हर मंदिर दीपों की रोशनी से जगमगा उठी है. सरयू के किनारे से लेकर रामलला के दरबार तक, पूरा शहर भव्यता, श्रद्धा और उत्साह से आलोकित है. मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो.
अयोध्या दीपोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "जब हम यहां लाखों दीपों से अयोध्या धाम को जगमगा रहे हैं, तब हमें ये विस्मृत नहीं करना चाहिए कि इसी अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने न्यायालय में कहा था कि भगवान श्री राम तो एक मिथक हैं और समाजवादी पार्टी ने राम भक्तों पर इसी अयोध्या में गोलियां चलाई थीं.
मालूम हो कि एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने दिवाली पर दियों और मोमबत्तियों पर होने वाले खर्च को फिजूल बताया था. अखिलेश ने कहा कि क्यों खर्चा करना बार-बार दियों पर, मोमबत्तियों पर. ये दिमाग लगना. इस सरकार से क्या उम्मीद कीजिएगा. हटाइये इस सरकार को. हम बहुत सुंदर रोशनी कराएंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव 2025 को संबोधित करते हुए कहा, "हर दीप हमें याद दिलाता है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता है. सत्य की नियति होती है विजयी होने की और विजयी होने की उस नियति के साथ सनातन धर्म लगातार 500 वर्षों तक लगातार संघर्ष करता रहा. उन संघर्षों की परिणति स्वरूप अयोध्या में भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हुआ."
योगी आदित्यनाथ ने कहा, "ये दीप केवल दीप नहीं हैं, यह दीप 500 वर्षों के अंधकार पर आस्था के विजय के प्रतीक भी हैं. 500 वर्षों में किस प्रकार के अपमान को झेलना पड़ा था और किस प्रकार के संघर्षों से हमारे पूर्वज जूझे थे, ये दीप उसी के प्रतीक स्वरूप हैं. तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम तंबू में विराजमान थे और अब जब दीपोत्सव का 9वां संस्करण हो रहा है, तब भगवान राम अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हैं."
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