नवान्न अभियान से हावड़ा में तनाव, व्यापारियों में नाराजगी


हावड़ा: बेरोज़गार योग्य शिक्षक-शिक्षिकाओं के मंच द्वारा सोमवार को आयोजित सचिवालय (नवान्न) अभियान को लेकर हावड़ा में एक बार फिर से तनाव का माहौल है। एक ओर जहां प्रशासन ने बड़े स्तर पर सुरक्षा के इंतज़ाम किए हैं, वहीं दूसरी ओर मंगला हाट के व्यापारियों में आंदोलन को तीखा रोष है। उनका आरोप है कि इस तरह बार-बार सोमवार और मंगलवार को आंदोलन करने से उनके व्यापार को भारी नुकसान हो रहा है।

व्यापारियों का कहना है कि पंडाल निर्माण, कपड़े और पूजा-सामग्री जैसी चीज़ों की बिक्री के लिए यह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए सोमवार को सभी दुकानों को बंद रखने का निर्देश जारी किया है, जिससे लाखों रुपये के व्यापार पर असर पड़ा है।

मंगला हाट व्यापारी संघ (सेंट्रल) के अध्यक्ष मलय दत्ता ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि "हम आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति संवेदनशील हैं, लेकिन हर बार सोमवार और मंगलवार को आंदोलन की तारीख चुनी जाती है, जिससे हमारी कमाई पर सबसे ज्यादा यादा असर पड़ता है।"

इस नाराज़गी के चलते व्यापारियों ने आज हावड़ा थाना घेराव का ऐलान किया है। उनकी मांग है कि प्रशासन भविष्य में किसी भी आंदोलन की तारीख तय करते समय स्थानीय व्यापारियों के हितों का भी ध्यान रखे।

आंदोलन को देखते हुए हावड़ा सिटी पुलिस ने रविवार से ही पूरे शहर में सुरक्षा बढ़ा दी है। शहर के चार प्रमुख प्रवेशद्वार बंगबासी मोड़, रामकृष्णपुर घाट गेट, काज़ीपाड़ा मोड़ और सांतरागाछी मोड़—पर भारी लोहे के बैरिकेड्स लगाए गए हैं। इसके साथ ही शिबपुर, मंदिरतला और बेलेपोल इलाकों में भी छोटे गार्डरेल लगाए गए हैं।

हर मुख्य स्थान पर 25 हाई-रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। सुरक्षा के लिहाज से रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती के साथ-साथ दो वाटर कैनन भी तैनात किए गए हैं। करीब 2000 अतिरिक्त पुलिसकर्मी हावड़ा में तैनात किए गए हैं, जिन पर नियंत्रण कक्ष से वरिष्ठ अधिकारी नजर बनाए हुए हैं।

वहीं, आंदोलनकारी शिक्षकों की ओर से कहा गया है कि उनका मकसद सिर्फ शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाना है। लेकिन प्रशासन द्वारा की गई भारी बैरिकेडिंग और सुरक्षा बंदोबस्त को उन्होंने “अत्यधिक प्रतिक्रिया” करार दिया है। पूजा के मौसम को देखते हुए व्यापारियों पर पहले से ही दबाव है, और हर सप्ताह आंदोलन के कारण व्यापार में रुकावट आने से उनका गुस्सा और बढ़ता जा रहा है।

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