सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है जिनका तलाक हो चुका है या पति से अलग रहने को मजबूर हैं. कोर्ट ने आज बुधवार को फैसला सुनाया कि मुस्लिम महिलाएं अपने पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा-125 के तहत भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती हैं.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग, लेकिन एक जैसा फैसला दिया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कुछ पति इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी होती है लेकिन इन होम मेकर्स की पहचान भावनात्मक और अन्य तरीकों से उन पर ही निर्भर होती है.
कोर्ट ने कहा, “एक भारतीय विवाहित महिला को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है. इस तरह के आदेश से सशक्तिकरण का अर्थ है कि उसकी संसाधनों तक पहुंच बनती है. हमने अपने फैसले में 2019 अधिनियम के तहत ‘अवैध तलाक’ के पहलू को भी जोड़ा है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि धारा 125 सीआरपीसी के तहत मामला लंबित है और मुस्लिम महिला का तलाक हो जाता है, तो वह 2019 अधिनियम का सहारा ले सकती है. 2019 अधिनियम धारा 125 सीआरपीसी के अतिरिक्त उपाय प्रदान करता है.
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