मानव धर्म को समर्पित अवधूत देवीदास सेवा संस्थान


युवाशक्ति न्यूज 

भौतिक वस्तुओं को पाने के लिए हम अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं, लेकिन जब इस दुनिया से विदा होते हैं तो अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा पाते. हमारी सारी कमाई यहीं रह जाती है. अगर हम कोई चीज अपने साथ ले जाते हैं तो वह है हमारे अच्छे कर्म और लोगों की दुआएं.


अवधूत देवीदास सेवा संस्थान के साधक और गुरुभक्त लक्ष्मी नारायण मीणा के अनुसार "मनुष्य का एक ही कर्म व धर्म है और वह है मानवता. हम इस दुनिया में इंसान बनकर आए हैं तो सिर्फ इसलिए कि हम मानव सेवा कर सकें. पूरे विश्व में ईश्वर ने हम सभी को एक-सा बनाया है. फर्क बस, स्थान और जलवायु के हिसाब से हमारा रंग-रूप, खान-पान और जिंदगी जीने का अलग अलग तरीका है. आत्मभाव से हर मनुष्य एक समान है."


श्री मीणा कहते हैं कि "एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंचे-नीचे कैसे हो सकते हैं. हम सब एक ही मिट्टी के बने हैं. एक जैसे ही तत्व सबके भीतर हैं. जिस दिन यह सच्ची बात हमारे मन में स्थापित हो जाएगी तो फिर सभी भेद मिट जाएंगे और तब हम इंसानियत की राह पर अग्रसर होकर भाई-चारा स्थापित करने लगेंगे. कोई धर्म शास्त्र आपस में वैर रखना नहीं सिखाता."


अवधूत देवीदास सेवा संस्थान की स्थापना और गतिविधियों में मानव धर्म को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए निरंतर मानव सेवा में संलग्न रहने को ही जीवन का परम उद्देश्य माना गया है‌.


संस्थान प्रतिवर्ष गंगासागर मेला के अवसर पर कोलकाता और गंगासागर क्षेत्र में शिविर लगाकर लाखों तीर्थयात्रियों की सेवा करता है. नि:शुल्क भोजन, चाय, जलपान के साथ ज्ञानोपयोगी साहित्य और विद्वान संतों की व्यवस्था की जाती है. इसके अतिरिक्त साल भर अलग-अलग इलाकों में सेवा शिविर लगाकर जरूरतमंदों की सेवा का संकल्प पूरा किया जाता है. संप्रति कोलकाता में संस्थान की सहायक मानव सेवा दल द्वारा गुरुब्रह्म चालीसा, सतगुरु भजन और कम्बल वितरण का आयोजन न्यू टाउन में किया गया.

Post a Comment

Previous Post Next Post