कोलकाता: विधानसभा (West Bengal Assembly) में आज राज्य सरकार (State Government) की तरफ से पहला बैसाख यानी बंगाली नव वर्ष को पश्चिम बंगाल दिवस (West Bengal Day) के तौर पर पालन किए जाने का प्रस्ताव पेश किया गया. जिसका भाजपा विधायकों की तरफ से विरोध किया गया. नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) समेत भाजपा के विधायकों ने सदन में एक विशेष किस्म की टी-शर्ट पहन रखी थी. जिस पर 20 जून को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर लिखा गया था.
टी-शर्ट के पीछे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr. Shayama Prasad Mukherjee) की तस्वीर लगी हुई थी. संसदीय कार्य मंत्री शोभन देव चटर्जी ने पहले बैसाख को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर पालन करने का प्रस्ताव विधानसभा में पढ़ा. इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उपस्थिति थीं.
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पहले ही बता दिया था कि 50 सालों में पूर्वी पाकिस्तान का क्या अस्तित्व होगा और वही हुआ. उन्होंने ही 20 जून को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर तय किया है इसीलिए यही तारीख पश्चिम बंगाल के गठन से संबंधित है.
इसके अलावा कोई दूसरी तारीख नहीं हो सकती.भाजपा विधायक शंकर घोष ने कहा कि कैलेंडर के पहले दिन का संबंध पश्चिम बंगाल दिवस से कैसे हो सकता है? राज्य सरकार केवल एक घंटे के चर्चा के आधार पर पश्चिम बंगाल दिवस निर्धारण करना चाहती है.
आईएसएफ विधायक नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि 16 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर मनाया जाए क्योंकि बंग भंग हुआ था. शुभेंदु ने कहा कि पश्चिम बंगाल दिवस तय करने में राज्य सरकार को 12 साल लग गए.
क्या इस दिवस के निर्धारण से पश्चिम बंगाल की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी. सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिलने लगेगा? बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा? भ्रष्टाचार हिंसा खत्म होगी? बिल्कुल नहीं.
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