Editors Guild of India के सदस्यों की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते के लिए रोक बरकरार, SC ने कहा- 'पत्रकार विचार रखने के हकदार'


Manipur Violence: मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पर एक रिपोर्ट तैयार करने पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) के चार सदस्यों पर FIR दर्ज की गई थी. जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. शुक्रवार अदालत से उन्हें राहत मिल गई.  सुप्रीम कोर्ट ने सभी की गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी है.

मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud) ने कहा कि प्रथम दृष्टया पत्रकारों के खिलाफ कोई अपराध नहीं दिख रहा है. उन्होंने सवाल किया कि चारों पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर क्यों रद्द नहीं की जानी चाहिए?

कोर्ट ने आगे कहा कि पत्रकारों को अपना दृष्टिकोण रखने का अधिकार है. सरकार ने जो एफआईआर दर्ज की है, वो हमें बताएं कि ये कैसा अपराध है. वो सिर्फ एक रिपोर्ट है. पुलिस ने तो ऐसी धाराएं लगा दीं, जो बनाई ही नहीं गईं. इसके साथ ही चारों की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते के लिए रोक बढ़ा दी गई.

दरअसल एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की चार सदस्यीय टीम ने 2 सितंबर को मणिपुर हिंसा पर 24 पन्नों की फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट जारी की थी. ये रिपोर्ट राज्य की घटनाओं पर आ रही मीडिया रिपोर्ट्स पर थी.

एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया की रिपोर्ट एकतरफा थीं. इसके अलावा उसने राज्य सरकार को पक्षपातपूर्ण बताया. मणिपुर सरकार इस रिपोर्ट से नाराज हो गई. उसने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई. सरकार का आरोप है कि इस रिपोर्ट के जरिए एडिटर्स गिल्ड राज्य के हालात खराब करना चाहता है. वहीं एफआईआर में भी विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने की धारा जोड़ी गई.

आपको बता दें कि राज्य में 3 मई से हिंसा का दौर जारी है. राज्य और केंद्र सरकार ने हालात काबू करने की बहुत कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वहां पर अब तक 175 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. वहीं कई लोग अभी भी लापता हैं.

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