CHANDRAYAAN 3 : चांद के दुर्गम सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. इस सफलता के पीछे देश के अन्य हिस्सों के साथ ही पश्चिम बंगाल के वैज्ञानिकों की भी उल्लेखनीय भूमिका रही है.
उत्तर 24 परगना के बारासात के रहने वाले जयंत पाल, बीरभूम के विजय दाई, बांकुड़ा के कृषाणु नंदी समेत कई अन्य वैज्ञानिक थे जो चार महीने तक खाना-पीना व सोना भूल गए थे. जयंत पाल ने खड़गपुर आईआईटी से एमएससी और पीएचडी की है. विजय और कृषाणु जादवपुर विश्वविद्यालय से एमटेक हैं. मिशन चंद्रयान के ऑपरेशन की जिम्मेवारी वैज्ञानिकों की जो टीम संभाल रही थी उसमें जयंत भी शामिल थे.
उसके बाद विजय और कृषाणु चांद की धरती पर उतरने वाले रोवर प्रज्ञान की गतिविधि कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. कृषाणु बांकुड़ा के पात्रशायर के रहने वाले हैं. ऐसे समय में चंद्रयान की सफल लैंडिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जब उनकी मां गंभीर रूप से बीमार हैं और बेंगलुरु में ही भर्ती हैं.
पूर्व मेदिनीपुर के पाशकुड़ा के रहने वाले वैज्ञानिक पीयूष कांति पटनायक भी चंद्रयान-3 मिशन में अहम जिम्मेदारी निभा रहे थे. तापमान नियंत्रण की जिम्मेवारी उनकी रही है. चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद उन्होंने कहा, "कंट्रोल रूम में करीब-करीब उत्सव का माहौल है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा की चुनौती अभी और बड़ी है. भविष्य में और आगे की यात्रा करनी है."
उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर आश्रमपाड़ा के रहने वाले अनुज नंदी भी चंद्रयान मिशन से जुड़े हुए हैं. पूरे ऑपरेशन की जिम्मेवारी संभाल रहे सदस्यों में वह भी एक थे.
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