दिल्ली: मोदी उपनाम (Modi Surname) वाले लोगों को चोर बताने के मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिल गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) ने राहुल गांधी को इस मामले में निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगा दी है. साथ ही उनकी दोषसिद्धि भी स्थगित कर दी गई है.
इससे राहुल गांधी के दोबारा केरल की वायनाड सीट से सांसद घोषित होने और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में भी उतरने की राह खुल गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोष सिद्धि पर रोक की बात है, वहां हमने कुछ तथ्यों पर विचार किया. इस केस में जो अधिकतम सजा हो सकती है, वो राहुल को दी गई है. ट्रायल कोर्ट के जज ने अपने आदेश में साफ नहीं किया कि अधिकतम सजा ही मुकर्रर करने की जरूरत क्या है. जज को साफ करना चाहिए था कि अधिकतम सजा देने की वजह क्या है.
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा कि ये एक ऐसा मामला है, जो आसंज्ञेय अपराध की कैटगरी में आता है. राहुल का बयान ठीक नहीं था. सार्वजनिक जीवन में होने के चलते राहुल से और ज्यादा जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है.
ज्ञात हो कि राहुल गांधी को इस मामले (Modi Surname Case) में गुजरात के सूरत की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी. यह सजा राहुल गांधी के खिलाफ गुजरात के पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक पूर्णेश मोदी की तरफ से दाखिल मानहानि के मुकदमे में सुनाई गई थी. इसके चलते राहुल गांधी को अपनी संसद सदस्यता और सांसद के तौर पर मिला घर गंवाना पड़ा था.
कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस का रिएक्शन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिएक्शन देते हुए कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है. सत्यमेव जयते - जय हिंद.'
राहुल गांधी के वकील की दलील
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी पर आरोप जमानती हैं. सिंघवी ने दलील दी कि मोदी सरनेम वाली कोई Identified क्लास नहीं है. अलग-अलग जाति के लोग मोदी सरनेम को इस्तेमाल करते हैं. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि आप इस बिंदु पर अपनी बात केंद्रित रखें कि दोषी सिद्धि के फैसले पर रोक क्यों जरूरी है? जान लें कि आज जो याचिका लगी है, उसमें राहुल गांधी ने दोष सिद्धि (Conviction) पर रोक की मांग की है. सजा पहले से राहुल गांधी की निलंबित है. संसद सदस्यता बहाल हो सके, इसके लिए जरूरी है कि दोष सिद्धि पर भी रोक लगे.
राहुल पर हैं जमानती आरोप
सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने कहा कि राहुल पर कोई ऐसा मामला नहीं है, जो समाज के खिलाफ अपराध का हो. कोई रेप, मर्डर का आरोप राहुल पर नहीं है. राहुल पर जो आरोप है वो साधारण है, जमानती, सामान्य आरोप है. सजा भी हो तो वो अधिकतम 2 साल की ही हो सकती है. पर शिकायतकर्ता ने उन्हें अपराधी करार दिया. एक भी ऐसा केस नहीं है, जिसमें दोषी करार दिया हो.
पूर्णेश मोदी के वकील की दलील
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने दलील दी कि राहुल गांधी के खिलाफ बहुत सबूत है. EC की ओर से जिस शख्स को रिकॉर्डिंग का जिम्मा दिया गया था, वो खुद इस केस में सरकारी गवाह है.
बयान से साफ है कि राहुल गांधी की मंशा मोदी सरनेम वालों का अपमान करने की थी सिर्फ इसलिए कि देश के प्रधानमंत्री का सरनेम भी मोदी है. राहुल ने पूरे मोदी सरनेम रखने वाले समुदाय का अपमान किया. ये दोहरी मानहानि का केस बनता है.
जेठमलानी ने कहा कि पूरे समुदाय की मानहानि की है, जिनका सरनेम मोदी है, ये एक निश्चित वर्ग है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि वो केस की मेरिट पर नहीं विचार कर रहे. कोर्ट के कहने का मतलब था कि अभी इस पर विचार नहीं हो रहा है कि राहुल के खिलाफ मानहानि का केस बनता है या नहीं.
सिर्फ इस पर विचार हो रहा है कि दोष सिद्धि पर रोक लगे या नहीं. चूंकि राहुल को दो साल की सजा है, जो इस केस में अधिकतम सजा है. इसलिए उनकी सदस्यता गई. ट्रायल कोर्ट के जज ने अपने आदेश में ये साफ नहीं किया कि आखिर दो साल की सजा ही क्यों जरूरी है और दूसरी बात उन्होंने लिखी है.
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