Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार को फटकार, 4 अगस्त को तलब किये गए राज्य के DGP


मणिपुर:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि 'राज्य में मामलों के घटित होने और एफआईआर दर्ज करने में काफी चूक हुई हैं. मणिपुर (Manipur) में "संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त" होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर सरकार के साथ-साथ पुलिस को भी कड़ी फटकार लगाई. 

मामले की सुनवाई सीजेआई (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में हो रही थी. इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ मणिपुर में हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में खराब कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए मणिपुर पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि वह "जांच करने में असमर्थ" है.

पीठ ने कहा कि अगर कानून और व्यवस्था लोगों की रक्षा नहीं कर सकता है, तो वे सुरक्षा के लिए कहां जाएंगे. राज्य पुलिस मामलों की जांच करने में असमर्थ दिख रही है. राज्य में ई कानून-व्यवस्था नहीं बची है. सुनवाई के दौरान, अदालत ने मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह को भी तलब किया ताकि यह समझा जा सके कि "जघन्य प्रकृति" के मामलों में "धीमी" जांच क्यों की गई? 

अदालत (Supreme Court) ने यह भी निर्देश दिया कि मणिपुर के डीजीपी शुक्रवार दोपहर 2 बजे अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और अदालत को जवाब देने की स्थिति में हों. अदालत ने अपराध की प्रकृति के आधार पर एफआईआर का सारणीबद्ध डेटा प्रस्तुत करने को कहा है.  

अदालत ने कहा, ''हम उस दिन भविष्य की कार्रवाई तय करेंगे. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि मणिपुर में संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के लिए 11 एफआईआर दर्ज की गईं और सभी 11 एफआईआर को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने 4 मई को संघर्षग्रस्त राज्य में दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाने की भयावह घटना में एफआईआर (FIR) दर्ज करने में देरी को लेकर सोमवार को मणिपुर पुलिस की खिंचाई की थी. पीठ ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को 'भयानक' करार दिया था और कहा कि वह नहीं चाहते कि मणिपुर पुलिस 4 मई की घटना की जांच करे.

अदालत ने कहा कि, मणिपुर वीडियो में दिखाई गई महिलाओं को पुलिस ने दंगाई भीड़ को सौंप दिया, यह भयावह है.अदालत ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में एफआईआर और गिरफ्तारियों की संख्या का विवरण मांगा है.इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कहा कि वह मुख्य मामले की सुनवाई होने तक मणिपुर वायरल वीडियो मामले में पीड़ित आदिवासी महिलाओं के बयान की रिकॉर्डिंग पर रोक लगाए.

शीर्ष अदालत ने 4 मई की घटना में जीवित बचे लोगों के बयान दर्ज करने के लिए एक पैनल गठित करने और मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का भी संकेत दिया था. इसके बाद उसने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की थी.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) में कहा गया है कि मणिपुर राज्य की ओर से जो रिपोर्ट दाखिल की गई हैं, उसमें उल्लेख है कि 25 जुलाई, 2023 तक 6,496 एफआईआर दर्ज की गई हैं.

स्टेट्स रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 150 मौतें हुईं, 502 घायल हुए, आगजनी के 5,101 मामले और 6,523 एफआईआर दर्ज की गईं. कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस दौरान 252 लोगों को एफआईआर में गिरफ्तार किया गया और 1,247 लोगों को निवारक उपायों के तहत गिरफ्तार किया गया. स्टेट्स रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 एफआईआर के संबंध में सात गिरफ्तारियां की गई हैं.

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